गिरिडीह,बगोदरः गिरिडीह में कोरोना टेस्ट की जांच रिपोर्ट चौकानी वाली है. चंद घंटे के अंतराल में एक शख्स का कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव से निगेटिव आया है. यह एक बड़ा सवाल है और स्वास्थ्य विभाग मामले में कटघरे में आ गयी है. मामला बेमियादी धरना पर बैठे व्यवसायी सह सामाजिक कार्यकर्ता कुंजलाल साव से जुड़ा हुआ है.
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गिरिडीह में सरकारी अस्पताल में कोविड टेस्ट कराना कितना भरोसेमंद है, इसकी बानगी दिखी शनिवार को और ये वाकया कुंजलाल साव के साथ गुजरा है. पिछले नौ दिनों से तीन सूत्री मांगों को लेकर बगोदर बस स्टैंड में खुले आसमान के नीचे बेमियादी धरना पर बैठे थे. रूटीन हेल्थ चेकअप के दौरान शुक्रवार को रात में बगोदर सीएचसी में जब कोविड की जांच की गई तब उनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई. इसके बाद उन्हें वहां भर्ती कराया गया. मगर कुंजलाल साव को रिपोर्ट पर भरोसा नहीं हुआ. उन्हें इस रिपोर्ट में राजनीतिक और प्रशासनिक मिलीभगत का संदेह हो रहा था. उन्होंने अपनी तसल्ली के लिए पास के प्रखंड डुमरी चले गए और वहां के सरकारी अस्पताल में शनिवार को कोविड की जांच कराई तब उनकी कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आ गयी. अब ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि किस रिपोर्ट पर विश्वास किया जाए. इधर उनकी कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद वो दोबारा धरने पर बैठ गए हैं. गिरिडीह में सरकारी अस्पताल में कोविड टेस्ट में अनियमितता से जिला स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है.
क्यों धरना दे रहे कुंजलालः उप विकास आयुक्त के खिलाफ मुकदमा के लिए बगोदर थाना में किए गए ऑनलाइन शिकायत का एफआईआर नंबर उपलब्ध कराने सहित तीन सूत्री मांगों को लेकर कुंजलाल साव के द्वारा धरना दिया जा रहा था. मामला सरकारी दुकान का आवंटन और फिर रद्द किए जाने से जुडा हुआ है. इसको लेकर वो करीब 10 दिन से धरना दे रहे हैं.