गिरिडीह:जिले की जुड़वा बहनों ने कमाल कर रखा है. दोनों बहनें ताइक्वांडो में अपना जौहर दिखा रहीं हैं. राज्यस्तरीय सब जूनियर प्रतियोगिता में काव्या ने गोल्ड मेडल भी जीता है, जबकि नेशनल चैंपियनशिप के लिए उसका चयन हो चुका है. दोनों बहनें ओलंपिक के लिए पूरी मेहनत कर रहीं हैं. महज छह साल की आयु लेकिन इनके पैंतरे ऐसे हैं कि बड़े-बड़े भी चंद मिनट में धूल चाटने लगते हैं.
ये भी पढ़ें-लोहरदगा: राज्य स्तरीय ताइक्वांडो प्रतियोगिता का आयोजन, लोहरदगा और रांची की टीम बनी चैंपियन
ओलंपिक में खेलने का सपना
ताइक्वांडो में गिरिडीह की सगी बहनों के किक और पंच के सामने अच्छे-अच्छे भी नहीं टिक पा रहे हैं. ये जुड़वा बहनें काव्या और नाव्या हैं. सीसीएल गिरिडीह परियोजना में बतौर ओवरमैन के पद पर कार्यरत पंकज कुमार की दोनों बेटियों की उम्र महज छह साल है. गुड्डे और गुड़ियों से खेलने की इस उम्र में ये दोनों बहनें ताइक्वांडो में धमाल मचा रही हैं.
ताइक्वांडो सीखती जुड़वा बहनें इस उम्र में ही काव्या का चयन ताइक्वांडो के सब जूनियर नेशनल चैंपियनशिप के लिए हुआ है. सब जूनियर स्टेट प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल भी काव्या जीत चुकी हैं. अब दोनों बहनों का सपना ओलंपिक में खेलने का है. इसके लिए दोनों अभी से ही मेहनत कर रहीं हैं. दोनों छात्राओं की इस सफलता से उनके विद्यालय के प्राचार्य भैया अभिनव कुमार भी काफी खुश हैं.
ट्रेनर के साथ अभ्यास करती जुड़वा बहनें माता-पिता भी हैं खेल प्रेमी
दोनों बच्चियों के माता-पिता भी खेल प्रेमी हैं. पिता पंकज कुमार खुद पिस्टल शूटिंग के खिलाड़ी है. सीमित संसाधनों के बदौलत वे बनियाडीह स्थित अपने क्वार्टर में ही पिस्टल शूटिंग की प्रैक्टिस करते हैं. पंकज ने अपने तनख्वाह के पैसे से शूटिंग रेंज बनाया है और कीमती पिस्टल भी खरीदी है.
पंकज ने बताया कि उनकी बेटियां सीसीएल डीएवी में कक्षा दो की छात्रा है. प्रशिक्षक रोहित कुमार से दोनों ताइक्वांडो का प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं. उनका सपना है कि उनकी बेटियां ओलंपिक में पदक जीतकर देश का नाम रोशन करें. वे अपनी पत्नी को भी पिस्टल शूटिंग का गुर सिखा रहे हैं. उन्होंने बताया कि काव्या और नाव्या ने जिला और स्टेट का प्रतिनिधित्व ताइक्वांडो में किया है और कई पुरस्कार भी जीते हैं.
ये भी पढ़ें-लोहरदगा में राज्यस्तरीय ताइक्वांडो प्रतियोगिता का आयोजन, कई खिलाड़ियों ने लिया हिस्सा
प्रशिक्षक भी उत्साहित
दोनों बच्चियों को प्रशिक्षित कर रहे प्रशिक्षक रोहित कुमार भी इनके प्रदर्शन से काफी उत्साहित हैं. इनका कहना है कि एक दिन दोनों बहनें काफी बेहतर प्रदर्शन करेंगी और ओलंपिक में भी भाग लेंगी. बता दें कि ताइक्वांडो एक कोरियाई मार्शल कला है. इस खेल में दो खिलाड़ी एक दूसरे पर लात से प्रहार करते हैं. इस खेल में सामने वाले पर प्रहार करके मैट से बाहर ले जाने या जमीन पर गिराने की कोशिश की जाती है. इसमें सिर तक की किक, कूदकर घूमते हुए मारने वाली किक और तेज किक का प्रयोग होता है.
खेल के नियम
इस मैच में दो मिनट के तीन राउंड होते हैं. प्रत्येक राउंड के बीच एक मिनट का ब्रेक होता है. ताइक्वांडो के प्रोटेक्टर और स्कोरिंग सिस्टम को पहली बार 2012 में लंदन में हुए ओलंपिक प्रतियोगिता के लिए अपनाया गया था. इस पीएसएस सिस्टम में इलेक्ट्रानिक सेंसर लगे होते हैं, जो शरीर के स्कोरिंग के हिस्से में किक लगने पर अंक तय करते हैं.