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नक्सलियों का सॉफ्ट टारगेट रहा है धनबाद-गया रेल लाइन, हजारीबाग रोड रेलवे स्टेशन से पारसनाथ तक कई बार उड़ाया है ट्रैक - पारसनाथ रेलवे स्टेशन

नक्सलियों ने जब भी बंद की घोषणा की है तो रेलवे को कई दफा टारगेट किया है. गया-धनबाद रेल लाइन पर कई बार विस्फोट किया गया है. कहा जाए तो यह रेलखंड नक्सलियों के सॉफ्ट टारगेट में रहा है. पढ़िए ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट

Gaya Dhanbad rail line soft target of Naxalites
Gaya Dhanbad rail line soft target of Naxalites

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Published : Jan 27, 2022, 3:43 PM IST

Updated : Jan 27, 2022, 4:53 PM IST

गिरिडीह: नई दिल्ली को बिहार झारखंड होते हुए हावड़ा को जोड़ने वाली गया-धनबाद रेल लाइन वर्षों से नक्सलियों के सॉफ्ट टारगेट में रहा है. इस रेलखंड के हजारीबाग रोड रेलवे स्टेशन से लेकर पारसनाथ रेलवे स्टेशन के बीच एक बार नहीं बल्कि दर्जनाधिक दफा नक्सलियों ने ट्रैक को उड़ाया है. इस बार भी इसी रेलखंड को निशाना बनाया गया और चिचाकी व चौधरीबांध के बीच दोनों ट्रैक पर विस्फोट किया. इस घटना में ट्रैक को मामूली तौर पर गई नुकसान हुआ है.

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2002 में पहली दफा इस ट्रैक पर किया था विस्फोट:गिरिडीह जिले के सरिया, डुमरी व निमियाघाट थाना क्षेत्र से होते हुए रेलवे की यह ट्रैक गुजरी है. यह रेलवे लाइन पारसनाथ की तराई वाले इलाके से गुजरी है. चूंकि भाकपा माओवादी के लिए पारसनाथ जोन सबसे सुरक्षित जोन है और 70 के दशक से इसी इलाके से झारखंड-बिहार में नक्सलवाद की शुरुवात हुई थी. इस इलाके में नक्सलवाद की पौध को मजबूत करने में एमसीसी के अगुवा कन्हाई चटर्जी ने अहम भूमिका निभाई थी. उनके बाद प्रशांत बोस सरीखे नेताओं ने ही इस इलाके को अपना कर्मभूमि बनाया था.

देखें पूरी रिपोर्ट

नक्सली पोलित ब्यूरो सदस्य एक करोड़ के इनामी मिसिर बेसरा, सेंट्रल कमिटी मेम्बर अनल उर्फ पतिराम, 25 लाख के इनामी नक्सली अजय महतो उर्फ टाइगर समेत एक दर्जन से अधिक इनामी नक्सली इसी इलाके के रहनेवाले हैं. ऐसे में यह क्षेत्र पूरी तरह से नक्सलियों के कंट्रोल में रहा है. यही कारण है कि इस क्षेत्र में नक्सली जब चाहते हैं घटना को अंजाम देते हैं. वैसे पृथक बिहार से झारखण्ड अलग राज्य बनने के बाद पहली दफा वर्ष 2002 में नक्सलियों ने इस ट्रैक को अपना निशाना बनाया था. 2002 में इसरी बाजार रेलवे गुमटी के समीप ट्रैक को उड़ाया गया था. इसकी चपेट में पटना-हटिया एक्सप्रेस आया था लेकिन कोई बड़ी घटना नहीं हुई.

धनबाद-गया रेल लाइन
बड़ी नकस्ली घटना
  • 2002 : इसरी बाजार रेलवे गुमटी के पास उड़ाया ट्रैक, बाल-बाल बची पटना-हटिया एक्सप्रेस.
  • 2005 में: चेंगडों में होल्ट के समीप ट्रैक पर केन बम को लगाकर राजधानी को उड़ाने का प्रयास.
  • 2006 : 25 जनवरी को चेंगडो होल्ट के समीप गैंगमेन को कब्जे में लेकर ट्रैक के बीच लाल झंडा लगाकर मार्ग को बाधित कर दिया गया था.
  • 14 अक्तूबर 2006 को चेंगडो के समीप पटरी को नक्सलियों ने उड़ाया था.
  • 2007 : 26 जून को इसरी बाजार रेलवे गुमटी के समीप एक सुपर फ़ास्ट ट्रैन के पहिये में गोली मारकर परिचालन को बाधित कर दिया था.
  • सितम्बर 2007 में दो बार चेंगडो के समीप पटरी को उड़ाया
  • 2010: 8 फरवरी को पारसनाथ रेलवे स्टेशन के समीप व कर्माबांध होल्ट के समीप नक्सलियों ने ट्रैक को उड़ाया था.
  • 13 सितम्बर 2010 करमाबान्ध रेलवे स्टेशन के पास ट्रैक को उड़ा दिया.
  • 2017: 29 मई इसी चिचाकी व कर्माबांध के बीच पोल नम्बर 333 के पास पटरी पर विस्फोट कर उसे उड़ा दिया.
  • 2018: 15 अक्तूबर की रात चौधरी बांध व चेंगडो के बीच रेलवे ट्रैक उड़ाया.

चार साल बाद दिया घटना को अंजाम:वैसे बाद में वर्ष 2012 के बाद इलाके में नक्सलियों की घेराबंदी पुलिस व सीआरपीएफ ने शुरू की तो इस ट्रैक पर घटनाओं में कमी आयी. तत्कालीन एसपी अमोल वेणुकान्त होमकर, क्रांति कुमार व सुरेंद्र कुमार झा के कार्यकाल में नक्सलियों पर दबिश बढ़ी. इस ट्रैक पर विशेष निगरानी रखी जाने लगी. इस ट्रैक पर पिछली दफा 15 अक्तूबर 2018 को चौधरी बांध व चेंगडो के बीच रेलवे ट्रैक उड़ाया था.

सुरक्षा में लगे जवान



अलर्ट भी थी गिरिडीह पुलिस:इस बार भी इस ट्रैक को निशान बनाने की आशंका व्यक्त की जा रही थी. ऐसे में पुलिस व सीआरपीएफ क्षेत्र में लगातार गश्त कर भी रही थी. एक तरफ सरिया एसडीपीओ नौशाद आलम, एसडीपीओ मनोज कुमार, इंस्पेक्टर अदिकान्त महतो, इंस्पेक्टर दिनेश सिंह पारसनाथ से लेकर सरिया के इलाके में गश्त पर थे. दूसरी तरफ सदर एसडीपीओ अनिल कुमार सिंह, साइबर डीएसपी संदीप सुमन, इंस्पेक्टर विनय राम भी उग्रवाद इलाके में गश्त कर रहे थे. इधर घटना के बाद एसपी अमित रेणू भी मौके पर पहुंचे और पूरी स्थिति की जानकारी ली.

पारसनाथ रेलवे स्टेशन
Last Updated : Jan 27, 2022, 4:53 PM IST

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