गिरिडीह: धानेश्वर महतो का शव ओमान से 25 दिन बाद गांव पहुंचा है. सोमवार रात को जैसे ही प्रवासी मजदूर धानेश्वर महतो का शव गांव पहुंचा, परिजनों के चित्कार से माहौल गमगीन हो गया. पत्नी और बच्चे सहित परिवार के अन्य सदस्यों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया. इधर शव आने की सूचना मिलते ही ग्रामीणों की भी भीड़ उसके घर के पास उमड़ पड़ी.
ये भी पढ़ें:दोहा कतर में गिरिडीह के मजदूर का शव वापस मंगाने की सरकार से अपील, परिजनों ने लगाई गुहार
धानेश्वर महतो के शव का अंतिम दीदार के लिए लोगों की भीड़ जुट गई थी. पूर्व मुखिया लक्ष्मण महतो शव लाने के लिए कोलकाता पहुंचे हुए थे. सोमवार को अहले सुबह शव जब कोलकाता पहुंचा तब उसे पूर्व मुखिया ने रिसीव किया और शव को लेकर देर शाम गांव पहुंचे. दरअसल, 28 दिसंबर को एक हादसे में धानेश्वर महतो की मौत ओमान में हो गई थी. हादसे के 25 दिन बाद धानेश्वर का शव उसके गांव पहुंचा. शव के गांव पहुंचते ही सब शोक की लहर में डूब गए. इधर 25 दिनों तक उसके परिजनों की क्या हालत रही होगी यह कहना मुश्किल है.
शव लेने कोलकाता पहुंचे पूर्व मुखिया लक्ष्मण महतो ने बताया कि कंपनी के द्वारा शव के साथ मिलनेवाली बाकी के 2 लाख 39 हजार 425 रुपये राशि मिलने पर ही उन्होंन शव को रिसीव किया. उन्होंने बताया कि मृतक धानेश्वर महतो के दो बेटे हैं, साजन कुमार (12) और कुंदन कुमार (07). दोनों का लालन-पालन व पढ़ाई लिखाई को लेकर वे काफी चिंतित हैं. शव आने पर उप प्रमुख हरेन्द्र सिंह, बगोदर पश्चिमी के मुखिया सावित्री देवी आदि घाघरा पहुंचे और पीड़ित परिजनों को हिम्मत बंधाई. वहीं हमेशा मजदूर हित में कार्य करने वाले समाजिक कार्यकर्ता सिकंदर अली भी मौके पर पहुंचे हुए थे.