गिरिडीह:घाटे में चल रही कोलियरी के लिए कभी वरदान रहा कोक प्लांट पिछले दो दशक से बंद पड़ा हुआ है. हार्ड कोक, बेनजोल, सल्फ्यूरिक एसिड, अलकतरा जैसे उत्पाद यहां पर तैयार किये जाते थे. लेकिन कुव्यवस्था के कारण 23 जून 1999 को यह प्लांट बंद हो गया. प्लांट बंद हुआ तो राजनीति भी शुरू हो गयी. इसे शुरू करने का ख्वाब हर राजनीतिक दलों के नेताओं ने दिखाया. प्लांट को शुरू करने के लिए सीसीएल ने काफी खर्च भी किया, लेकिन यह प्लांट शुरू नहीं हो सका. प्लांट बंद हुआ तो धीरे-धीरे यहां पर पदस्थापित कर्मियों को स्थानांतरित भी कर दिया गया. इसके बाद यहां शुरू हो गया लोहा तस्करों का राज. इस प्लांट को लोहा तस्करों ने अपना चारागाह बना लिया है. लोहा के साथ कीमती पार्ट्स पर भी हाथ साफ किया गया.
इसे भी पढ़ें-सरायकेला: क्वॉलिटी बिजली आपूर्ति कराने में जुटा बिजली विभाग, कई योजनाएं इस साल होंगी पूरी
क्या कहते हैं मजदूर नेता
मजदूर नेता एनपी सिंह बुल्लू का कहना है कि ये हिंदुस्तान का बहुत पुराना प्लांट था. यहां के प्रोडक्ट की काफी डिमांड थी. साल 1999 में बराकर नदी का पुल टूटा, जिसके कारण प्लांट को बंद करना पड़ा. 2005 में भी इस प्लांट को शुरू करने के लिए खर्च किया गया, लेकिन ये खर्च कारगर साबित नहीं हुआ. इसके बाद 1905 में भी प्लांट शुरू हुआ था. जमालपुर रेलवे कारखाना में हार्ड कोक की आपूर्ति करने के लिए ईस्ट इंडिया रेलवे ने इस कोक प्लांट को स्थापित किया था. 60 के दशक से यहां से हार्ड कोक, बेनजोल, सल्फ्यूरिक एसिड, अलकतरा भी बनाया जाने लगा.