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डाक विभाग में 16 करोड़ के घोटाले की जांच करने पहुंची CBI, आलाधिकारियों ने भी ली जानकारी - गिरिडीह में डाक विभाग ने 16 करोड़ गबन मामले की जांच शुरू की

गिरिडीह के डाकघर में हुए लगभग 16 करोड़ के घोटाले की जांच तेज कर दी गयी है. जांच के लिए सीबीआई के साथ-साथ डाक विभाग के आलाधिकारी भी गिरिडीह पहुंचे. यहां पर घोटाले से जुड़े कागजातों को खंगाला तो कई लोगों से पूछताछ भी की.

डाक विभाग में 16 करोड़ के घोटाले की जांच करने पहुंची CBI, विभाग के आलाधिकारियों ने भी ली जानकारी
जांच करते अधिकारी

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Published : Mar 4, 2020, 8:36 PM IST

गिरिडीहः जिले के डाकघर में एक ड्राफ्ट से दो-दो बार रकम की निकासी कर लगभग 16 करोड़ का घोटाला किए जाने का मामला प्रकाश में आने के बाद इसकी जांच तेज कर दी गयी है. बुधवार को इस मामले की जांच करने सीबीआई के साथ-साथ डाक महानिदेशालय के अधिकारी भी पहुंचे. सबसे पहले अधिकारी प्रधान डाकघर पहुंचे. यहां हर इस महत्वपूर्ण फाइल को खंगाला गया जिसमें इस घोटाले से जुड़े राज छिपे हैं. वहीं कई कर्मियों के साथ-साथ ग्राहकों से पूछताछ की गयी.

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बढ़ सकता है घोटाले की रकम
जांच करने पहुंचे चीफ पोस्टमास्टर जेनरल अनिल कुमार के साथ आए अन्य अधिकारियों ने झारखंड प्रमंडल के अधिकारियों के साथ बैठक भी की. इस दौरान घोटाले की शुरुआत कहां से की गई थी और कैसे-कैसे राशि की गबन की जाती रही और कौन-कौन लोग इसमें शामिल होते गए इन सभी बातों की जानकारी लेते हुए नोट किया. वहीं कितने लोगों पर मुकदमा किया गया. रकम की रिकवरी को लेकर कुछ किया गया या नहीं इसकी भी जानकारी ली. जांचोपरांत अनिल कुमार ने कहा कि अभी जांच में क्या आया है यह सार्वजनिक नहीं किया जा सकता, लेकिन इतना जरूर कहा जाएगा की जो भी लोग शामिल हैं, उन सभी पर कार्रवाई तय है. वहीं डाक विभाग के मुख्य सतर्कता पदाधिकारी बीपी सिंह ने कहा कि अभी जांच में 7-8 लोगों से पूछताछ होनी है. वहीं जिन लोगों से पूछताछ होनी है उसकी संख्या बढ़ सकती है. वहीं घोटाले की राशि में भी इजाफा हो सकता है.

क्या है मामला

यहां बता दें कि वर्ष 2019 में डाकघर में हुए घोटाले का मामला प्रकाश में आया था. इस मामले को गिरिडीह प्रधान डाकघर के डाकपाल सोमनाथ मित्रा ने नगर थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई थी. प्राथमिकी में गिरिडीह प्रधान डाकघर के सहायक डाकपाल शशिभूषण कुमार, निलंबित सहायक डाकपाल मो. अलताफ और गिरिडीह टाउन उप डाकघर के उप डाकपाल बासुदेव दास को नामजद किया गया है. दर्ज प्राथमिकी में घटना की तिथि 3 अक्तूबर 2016 से 30 अगस्त 2019 बताई गई है. दर्ज प्राथमिकी में डाकपाल मित्रा ने कहा कि गिरिडीह प्रधान डाकघर के अधीनस्थ विभिन्न उप डाकघरों में प्राप्त डिमांड ड्राफ्ट को प्राप्त कर उप डाकपाल उसके साथ संलग्न खाताधारियों के एकाउंट में वर्णित रकम को जमा करके डिमांड ड्राफ्ट प्रधान डाकघर गिरिडीह में नगदी प्रेषण के रूप में भेज देते हैं. प्रधान डाकघर में ट्रेजरर उस डिमांड ड्राफ्ट को उप डाकपल के डेली एकाउंट के मार्फत प्राप्त करते थे. ट्रेजरर की ओर से ही उस डिमांड ड्राफ्ट को बैंक से क्लीयर करके सरकारी खाते में जमा कर देते थे. फिर से उसी डिमांड ड्राफ्ट की रकम को गिरिडीह टाउन उप डाकघर में खुले खातों में प्रधान डाकघर गिरिडीह के सहायक डाकपाल की ओर से व्यक्तिगत खातों में जमा कर दी जाती थी. लेकिन शाम ट्रेजरी को भेजी जाने वाली फाइनल रिपोर्ट सहायक डाकपाल के काउंटर की ओर से नहीं भेजी जाती थी.

एक ही ड्राफ्ट से दो बार निकासी

प्राथमिकी में प्रधान डाकपाल का कहना है कि धोखा देकर एक ही डिमांड ड्राफ्ट से दुबारा व्यक्तिगत खाते में जमा कर दिया जाता था. यह रकम 11 करोड़ 64 लाख 38 हजार 635 रुपया तक पहुंच गया. व्यक्तिगत खाते में क्रेडिट की गयी ड्राफ्ट की राशि की निकासी गिरिडीह टाउन उप डाकघर के उप डाकपाल के मदद से की गई है.

89 लाख की वापसी

प्रधान डाकपाल ने प्राथमिकी में कहा था कि मामला प्रकाश में आने के बाद उप डाकपाल बासुदेव दास ने विभिन्न तिथियों में गबन की गयी राशि में से 89 लाख, 9 हजार 867 अवर्गीकृत जमा में जमा किया है. प्रधान डाकपाल ने बताया कि इस गबन से संबंधित सभी कागजातों को सुरक्षित रखा गया है. वहीं इस मामले की जांच विभाग की ओर से भी की जा रही है.

मुफस्सिल में भी एफआईआर

प्रधान डाकघर के डाकपाल की ओर से नगर थाना में एफआईआर दर्ज किए जाने से पूर्व मुफस्सिल थाना में भी इससे जुड़ा एक मामला दर्ज कराया गया था. यह प्राथमिकी गिरिडीह टाउन डाकघर के उप डाकपाल बासुदेव दास की ओर से दिए गए आवेदन के आधार पर दर्ज की गई है. प्राथमिकी में विभाग के जीडीएस/इडी पैकट के पद पर कार्यरत कृष्णा कुमार दास और प्रधान डाकघर गिरिडीह में बतौर चेक क्लियरिंग के पद पर कार्यरत अरविंद कुमार पांडेय को नामजद किया गया है. दोनों के खिलाफ दूसरे के खाते से रकम निकासी करने का आरोप लगा है.

जांच में जुटी सीबीआई

इस मामले की गंभीरता व कई लोगों के शामिल रहने की आशंका को देखते हुवे इसकी जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंपा गया. जांच का जिम्मा मिलते ही सीबीआई की टीम पूरी जानकारी एकत्रित करती रही. नगर थाना और मुफस्सिल थाना के उन पदाधिकारियों से भी केस का डिटेल लिया जिन्हें इन कांडों का अनुसंधानकर्ता बनाया गया था. बता दे कि शुरुवात में यह मामला 12 करोड़ के घोटाले से जुड़ा था जो बढ़कर 16 करोड़ हो गया है.

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