गढ़वा: भाषा ही किसी देश, क्षेत्र, समुदाय, जाति और व्यक्ति का पहचान होती है, यदि भाषा ही विलुप्त हो जाए तो फिर अस्तित्व ही समाप्त हो जाता है. इसी तरह आदिम जनजाति कोरवा का अस्तित्व बचाने में जुटे गढ़वा जिले के रंका प्रखंड के शिन्जो गांव के हीरामन कोरवा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का साथ मिला है. प्रधानमंत्री ने अपनी मन की बात में हीरामन के प्रयासों की सराहना की और ऐसे कार्यों को आगे बढ़ाने की बात कही. ईटीवी भारत ने भी दो नवंबर 2020 को हीरामन के इस प्रयास को खबर के माध्यम से लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया था.
बता दें कि सामान्य भाषा बोलने पर कोरवा समुदाय के लोगों ने जब हीरामन कोरवा को पहचानने से इंकार कर दिया तब उन्हें लगा कि उनके जैसे कई लोग हैं जो कोरवा भाषा से दूर हो रहे हैं और यह जाति विलुप्त होती जा रही है.
गरीब परिवार के हीरामन ने कोरवा भाषा का शब्दकोश बनाने का और उसे कोरवा परिवार तक पहुंचने का संकल्प लिया. 12 वर्षों तक कड़ी मेहनत कर उन्होंने करीब 4000 शब्दों का कोरवा भाषा का शब्दकोश तैयार किया. सहयोग राशि इकट्ठा कर उसे पुस्तक के रूप में छपवाया. उन्होंने विलुप्त होती अपनी जाति और संस्कृति को बचाने का कार्य प्रारंभ किया.
मन की बात में हुआ जिक्र
सांसद बीडी राम के प्रयास के बाद मन की बात में आए हीरामन के इस प्रयास की जानकारी जब पलामू के सांसद बीडी को मिली तो उन्होंने हीरामन को गढ़वा बुलाकर सम्मानित किया और उनके इस प्रयास को प्रधानमंत्री तक पहुंचाने का भरोसा दिया.
सांसद बीडी राम ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर हिरामन के प्रयासों की जानकारी दी थी. उसके बाद प्रधानमंत्री ने 27 दिसंबर को आयोजित मन की बात में हीरामन का जिक्र किया और उनके प्रयासों की सराहना की.
हीरामन के घर पहुंचे भाजपा नेता