गढ़वाः जिले के किसानों के लिए धान पैदा करना और उसे बेचना बड़ी चुनौती बनी हुई है. महीनों बाद सरकारी दर पर धान बेचने का सरकारी मैसेज मिलने के बाद भी खरीदारी बंद होने का भय उन्हें अंदर से डरा है. इस बार खरीदारी बंद होने का भय सरकारी जूट के बोरे की कमी से पैदा हुआ है. किसानों ने दिन-रात जिले की बाजार समिति स्थित एफसीआई गोदाम के सामने डेरा डाल रखा है ताकि उनका धान खरीद लिया जाए, लेकिन अब बोरे की कमी से उनका धैर्य जवाब देने लगा है.
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इस वर्ष गढ़वा में धान की फसल अच्छी हुई है. यूरिया खाद की कालाबाजारी, ग्रामीण क्षेत्रों में कट बिजली की आपूर्ति के बावजूद जिले में 75 से 80 प्रतिशत किसानों ने धान की अच्छी पैदावार की है. नवंबर 2020 में ही किसानों के धान बिक्री के लिए तैयार हो गए थे लेकिन सरकार ने खरीदारी शुरू नहीं की. दिसंबर माह में झारखंड सरकार के वित्त मंत्री ने किसानों के तैयार धान में नमी बताकर उसकी खरीदारी नहीं करने की बात कही.
नहीं हो रही है पैक्स से खरीदारी
किसानों के भारी दबाव के बाद जनवरी 2021 से जिला मुख्यालय में एफसीआई के माध्यम से धान का क्रय शुरू किया गया. किसानों ने हर पंचायत में पैक्स के माध्यम से धान खरीदने की मांग की. जिले में 189 पंचायत और 20 प्रखंड हैं. सरकार के प्रावधानों के अनुसार सभी पंचायतों में पैक्स के माध्यम से धान की खरीदारी होती थी. इस वर्ष सरकार सभी प्रखंड मुख्यालयों में भी क्रय केंद्र नहीं खोल सकी. केवल 13 प्रखंडों में भी धान का क्रय किया जा रहा है. इन्ही केंद्रों से पूरे जिले के किसानों को जोड़ दिया गया है.