गढ़वाः झारखंड का गढ़वा जिला तीन राज्यों बिहार, छतीसगढ़ और उत्तर प्रदेश की सीमा पर बसा है. यहां भंडरिया प्रखंड के दो सगे भाई नीलांबर सिंह और पीतांबर सिंह ने अंग्रेजों के खिलाफ बिगुल फूंकी थी. आज पलामू का विश्वविद्यालय इन्हीं दोनों भाईयों के नाम पर संचालित है. कई पार्क और भवन इन स्वतंत्रता सेनानियों के नाम पर गढ़वा की वीरता का उदाहरण हैं.
जिले के विभिन्न हिस्सों में राजाओं का गढ़ होने के कारण इस क्षेत्र का नाम गढ़वा रख दिया गया था. यहां का प्रसिद्ध वंशीधर मंदिर, गढ़देवी मंदिर और रामलल्ला मंदिर आस्था का बड़ा केंद्र माना जाता है. एक अप्रैल 1991 में पलामू से अलग होकर गढ़वा को नया जिला बनाया गया. सोन, कनहर और सरस्वतिया नदी की गोद में बसा गढ़वा व्यापारिक रूप से उन्नत जिला माना जाता है. यहां दो विधानसभा क्षेत्र गढ़वा और भवनाथपुर है.
लगातार दो बार रहे विधायक
यह इलाका आर्थिक रूप से पिछड़ा माना जाता है, जबकि नक्सली घटना से यह इलाका काफी परेशान है. आज भी जिले के कुछ हिस्सों में नक्सलवाद सरकार के लिए चुनौती बनी हुई है. गढ़वा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के सत्येंद्रनाथ तिवारी विधायक हैं. 2009 में जेवीएम के टिकट पर चुनाव लड़कर विधायक बने थे, जबकि 2014 के चुनाव में बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े थे. मोदी लहर का लाभ उन्हें मिला और वे 21,519 वोट से शानदार जीत दर्ज कर विधानसभा पहुंचे.