पूर्वी सिंहभूम: घाटशिला के मऊभंडार स्थित ताम्र प्रतिभा मंच मैदान में प्रगतिशील लेखक संघ के दो दिवसीय तीसरे झारखंड राज्य सम्मेलन का आयोजन किया गया. इस सम्मेलन का उद्घाटन महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति सह प्रसिद्ध साहित्यकार विभूति नारायण राय के द्वारा किया गया.
डॉ. सुनीता देवदूत सोरेन का बयान वहीं, कार्यक्रम की शुरूआत में शेखर मल्लिक और उनके साथियों की ओर से ‘ये वक्त की आवाज है मिलकर चलो', 'ये जिंदगी का राग है मिल के चलो' से किया गया. इस अवसर पर संघ के राष्ट्रीय महासचिव राजेन्द्र राजन, बिहार संघ के महासचिव रवीन्द्रनाथ राय, वरिष्ठ लेखक खगेन्द्र ठाकुर, संघ के झारखंड अध्यक्ष जयनंदन, राकेश मिश्र, घाटशिला के अध्यक्ष शेखर मल्लिक, कॉमरेढ़ बास्ता सोरेन, एटक के महासचिव कॉमरेड ओमप्रकाश सिंह, विनीत तिवारी, सुधीर सुमन, शैलेन्द्र, अशोक शुभदर्शी आदि मंच पर उपस्थित थे.
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इस अवसर पर डॉ. केके लाल की ओर से पुस्तक मेला का भी आयोजन किया गया. इस दौरान बास्ता सोरेन द्वारा रचित पुस्तक 'ओलचिकी का व्याकरण' और 'हालका हलकाओं' को प्रदर्शनी में लगाई गई.
पहले दिन कार्यक्रम तीन सत्रों में हुआ संचालित
उदघाटन सत्र को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि विभूति नारायण राय ने बताया कि वे साहित्य को जन-जन तक ले जाने में असफल रहे हैं. उन्होंने कहा कि साहित्य को जन-जन तक ले जाने की जरुरत है. वहीं, वहां उपस्थित राजेन्द्र राजन ने बताया कि हमें सभी मतभेद भुलाकर एक साथ आना होगा. इस प्रकार ही साहित्य को जन-जन तक पहुंचाया जा सकता है. पहले सत्र का उद्घाटन राजेन्द्र राजन और संचालन डॉ. मिथिलेश सिंह ने किया.
दूसरे दिन कार्यक्रम
रविवार सुबह बिरसा चौक से लेकर अंबेडकर चौक तक विशाल रैली का आयोजन किया गया, जिसमें हजारों की संख्या में लोगों ने भाग लिया. उसके बाद कार्यक्रम स्थल पर पहुंचकर मौजूदा हालात पर चर्चा की गई. इस मौके पर उपस्थित लोगों में कॉमरेड ओपी सिंह, प्रो मित्रेश्वर, डॉ. सुनीता देवदूत सोरेन, घाटशिला कॉलेज के प्राचार्य डॉ. बीएन प्रसाद, डॉ. नरेश कुमार, प्रो. इंदल पासवान, भुवनेश्वर तिवारी सहित कई साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे.