जमशेदपुरः झारखंड कोरोना संक्रमण के दूसरी लहर से जूझ रहा है. इस बीच तमाम स्वास्थ्यकर्मी कोरोना वॉरियर्स अपनों की चिंता छोड़, दूसरे लोगों की जान बचाने में जुटी हैं. मातृ दिवस पर ईटीवी भारत ने कुछ ऐसी ही मां से बातचीत कर इस संकट में उनके मनोभाव को समझने की कोशिश की, जो अपनी परिवार की चिंता छोड़ संक्रमित मरीजों की सेवा में जुटी हैं.
क्या कहती हैं कोरोना वॉरियर्स मां यह भी पढ़ेंःकोविड संक्रमित परिवार से अमानवीय व्यवहार, दवा और जरूरी समानों की खरीद पर स्थानीय लोगों ने लगाई थी पाबंदी
जमशेदपुर में संक्रमित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. इन संक्रमित मरीजों के इलाज में मेडिकल टीम लगी है, जिसमें महिलाएं भी शामिल हैं. डॉक्टर के साथ-साथ नर्स, एएनएम और सहायिका कोविड वार्ड और एमरजेंसी में ड्यूटी कर रहीं हैं. इनमें कई ऐसी मां हैं, जो घर में अपने छोटे बच्चे को रख कर काम कर रही हैं.
मां बनकर मरीजों की कर रही हैं सेवा
खासमहल स्थित सदर अस्पताल के इमरजेंसी में काम करने वाली कोविड वार्ड इंचार्ज रानी सिंह बताती हैं कि वर्तमान समय में मां की परिभाषा बदल गई है. एक मां घर में जिस तरह से अपने बच्चों को देखभाल करती है, उसी तरह संक्रमितों के लिए एक मां बनकर उनकी सेवा कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमे अपनों से ज्यादा मरीजों की चिंता है. उन्होंने कहा कि घर जाते हैं, पर परिवार से अलग रहते हैं. रानी सिंह ने समाज की सभी मां से अपील किया है कि कोविड-19 गाइडलाइन का पालन करते हुए घरों में अपने परिवार के साथ सुरक्षित रहें.
घर और अस्पताल दोनों जगह निभा रहे जिम्मेदारी
सदर अस्पताल के वार्ड कर्मी सरिता गोडसोरा कहती हैं कि मेरे दो छोटे बच्चे हैं. इन बच्चों को घर में सुरक्षित छोड़कर काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि घर जाते हैं, लेकिन दूर से ही बच्चों को अपना प्यार देते हैं. इतना ही नहीं, अलग कमरे में रहते हैं. आज एक मां होने के नाते घर और बाहर दोनों जगहों पर जिम्मेदारी निभाना जरूरी है.
सबसे ज्यादा अस्पताल में सेवा करना जरूरी
रांची से जमशेदपुर आकर सदर अस्पताल में डयूटी करने वाली एएनएम संध्या रानी मिंज बताती हैं कि अपने परिवार से दूर रहकर अस्पताल में भर्ती मरीजों की सेवा कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि परिवार की याद आती है, लेकिन वर्तमान समय मे यह काम सबसे जरूरी है.