जमशेदपुर:झारखंड सरकार के प्रधान मुख्य वन संरक्षक पीके वर्मा को झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष पद से हटाने और सर्वोच्च न्यायालय एवं एनजीटी के आदेशों के अनुरूप राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पद पर नियुक्ति के तहत नियमावली बनाने के लिए झारखंड सरकार को निर्देश दिया गया. इसी के तहत एक जनहित याचिका गुरुवार को झारखंड उच्च न्यायालय में दाखिल की गई. जमशेदपुर के पर्यावरण कार्यकर्ता प्रतीक शर्मा की ओर से यह याचिका झारखंड उच्च न्यायालय के अधिवक्ता दिवाकर उपाध्याय ने दायर किया है.
झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
उल्लेखनीय है कि विगत दिनों झारखंड सरकार ने राज्य के प्रधान मुख्य वन संरक्षक पद पर पीके वर्मा को नियुक्त किया और इसके साथ ही उनको झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का अध्यक्ष भी बना दिया. जबकि सर्वोच्च न्यायालय और एनजीटी का स्पष्ट आदेश है कि झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष पद पर वहीं व्यक्ति नियुक्त हो सकता है, जिसके पास पर्यावरण की विशेष योग्यता होगी. इसके अतिरिक्त इस पद पर कोई ऐसा कर्मी या सरकारी अधिकारी नियुक्त नहीं होगा, जिस पद के साथ प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के हितों का टकराव हो.
पीके वर्मा दोनों पदों पर है कार्यरत
पीके वर्मा ने झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष और झारखंड के प्रधान मुख्य वन संरक्षक दोनों ही पदों पर कार्यरत है. इन दोनों पदों के बीच हितों का टकराव है. क्योंकि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के निर्णय के विरुद्ध अपील की सुनवाई के लिए राजस्व परिषद सदस्य की अध्यक्षता में बनी समिति में राज्य के प्रधान मुख्य वन संरक्षक भी एक सदस्य रहते हैं. इसके अतिरिक्त दोनों पदों के हितों में कार्य करने के दौरान भी अनेक प्रकार की बिंदुओं पर हितों का टकराव संभव है. वर्मा गणित विषय से स्नातक हैं. इनके पास प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष पर नियुक्त होने के लिए आवश्यक पर्यावरण का विशेष ज्ञान नहीं है. इस प्रकार वे इस पद को धारण करने के लिए अयोग्य हैं.