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जमशेदपुर: काले कपड़े और लंबी टोपी वाले जादूगरों की संख्या में हो रही है कमी - झारखंड न्यूज

देश में जादूगरों की संख्या में कमी देखी जा रही है, लेकिन यह कला आज भी जिंदा है. जादू एक ऐसी कला है जो लोगों के दिमाग से तनाव को दूर रखता है. यह कला बच्चे, जवान और बुढ़े सभी को पसंद आती है. इसको जीवित रखने की जरूरत है.

जादूगरों की संख्या में हो रही है कमी

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Published : Jul 29, 2019, 8:08 AM IST

Updated : Jul 29, 2019, 8:47 AM IST

जमशेदपुर: जादू प्राचीनतम कला है, लेकिन 21वीं सदी में यह कला लुप्त हो रही है. बाबजूद इसके मायाजाल की यह कला आज भी लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने में पीछे नहीं है. जादूगरों का कहना है कि वर्तमान समय में उनकी संख्या कम तो हो रही है, लेकिन जादू की कला आज भी जिंदा है.

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प्राचीनतम कला है जादू
भारत कलाओं का देश है और उन कलाओं में जादू एक प्राचीनतम कला है. इसे लोग मायाजाल और इंद्रजाल के नाम से भी जानते हैं. कहा जाता है कि इंसान जब पहली बार आंख खोला था तो सूरज की चमक, बादल का गरजना, फूलों का खिलना और पत्तों का हिलना उसके लिए किसी जादू से कम नहीं था. वहीं, इंसान ने जब पत्थर से पत्थर को घर्षण करने के बाद चिंगारी को देखा तो उसे पूरी तरह यकीन हो गया की यह जादू है, जबकि वह एक वैज्ञानिक क्रिया थी.

इंसान ने जादू कला को दिया जन्म
समय के साथ-साथ इंसान ने कई ऐसे काम किए जो उसके लिए किसी जादू से कम नहीं था और धीरे धीरे उसी क्रिया को अपनाते हुए इंसान ने जादू कला को जन्म दिया. जादू, जिसे तंत्र-मंत्र और सम्मोहन की नजर से देखा जाता है उसकी वास्तविकता कुछ और ही होती है. लोगों को आश्चर्यचकित रहस्य से भरपूर क्रियाओं को दिखाने वाले अपने देश में कई महान जादूगर हुए.

काले कपड़े और लंबी टोपी वाले जादूगर की संख्या में आई है कमी
इन जादूगरों में बंगाल के मशहूर जादूगर पीसी सरकार ने विश्व भर में अपने जादू की पहचान बनाई. वहीं, जूनियर पीसी सरकार के अलावा देश के कई प्रदेशों के जादूगरों जैसे गोगा जादूगर, आनंद जादूगर, के लाल जादूगर, ओपी शर्मा और जादूगर गोरिया सरकार के अलावा कई मशहूर जादूगरों ने हैरत अंगेज जादू के खेल को दिखाकर जनता को चौकाने और डराने का काम किया है. जबकि, यह सब किसी मनोरंजन से कम नही था. आज काले कपड़े और लंबी टोपी वाले जादूगर की संख्या में कमी आई है.

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जादू अभी भी है जिंदा
जमशेदपुर में जादू के शो के दौरान दर्शकों की भीड़ और तालियो की गड़गड़ाहट इस बात का गवाह है कि भले ही हम डिजिटल की बात करे, लेकिन जादू तो जादू है और इसे बच्चे, बूढ़े और जवान सभी देखना पसंद करते है. वहीं, डॉ. अदीबा और डॉ. बिभास का कहना है कि इस कला को जीवित रखने की जरूरत है. वहीं, जादूगर सिकन्दर बताते है कि समय के साथ-साथ जादूगरों ने अपने पुराने खेल को नहीं बदला. जनता नया कुछ देखना चाहती है और यही वजह है जादूगरों की संख्या में कमी आई है, लेकिन जादू अभी भी जिंदा है.

Last Updated : Jul 29, 2019, 8:47 AM IST

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