जमशेदपुर: मणिपुर में पिछले 80 दिनों से जारी हिंसा पर स्थाई रोक लगाने की मांग पर शहर की संस्था यूनाइटेड फोरम फॉर पीस एंड जस्टिस ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से की है. मणिपुर हिंसा की न्यायिक जांच सुप्रीम कोर्ट के सीटिंग जस्टिस से कराने की मांग की है. संस्था का कहना है कि इस तरह की घटना से देश शर्मशार हुआ है.
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संस्था ने की इन चीजों की मांग:यूनाइटेड फोरम फॉर पीस एंड जस्टिस ने मांग की है कि राज्य मशीनरी की भूमिका की जांच हो और उसकी रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाए. इसके साथ ही जलाए गए चर्च, मंदिर और घरों को राज्य की ओर से पुनर्निर्माण, मृतकों के आश्रितों को दस-दस लाख रुपए मुआवजा और सरकारी नौकरी देने की मांग की है. संस्था का कहना है कि कूकी-मेतई संघर्ष को स्थाई विराम तथा राजनीतिक निदान के लिए आयोग का पुनर्गठन कर वहां के लोगों की भावना के अनुसार समाधान निकाला जाए, दंगाइयों, हत्यारों, दुष्कर्मियों के खिलाफ राष्ट्रद्रोह का मुकदमा कर स्पीडी ट्रायल चलाया जाए, गवाहों के लिए विटनेस सिक्योरिटी एक्ट के तहत सुरक्षा दी जाए और दुष्कर्म पीड़ित महिलाओं को सरकारी नौकरी दी जाए.
फोरम की ओर से राष्ट्रपति से निवेदन किया गया कि वे खुद महिला हैं और जनजातीय वर्ग से हैं, उन्होंने भी सामाजिक उत्पीड़न को झेला है और ऐसे में उन्हें चुप्पी तोड़ने और संवैधानिक अधिकारों का प्रयोग करने की जरूरत है. संस्था ने प्रधानमंत्री से भी कहा कि वे हिंसा पर रोक लगाने का हर राजनीतिक संवैधानिक कदम उठाए. पूरी दुनिया में भारत की छवि को दाग लग रहा है.
इसके पहले विभिन्न धर्म, जाति, वर्ग, भाषा से संबंधित सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि यूनाइटेड फोरम के बैनर तले बंगाल क्लब साकची के सामने एकत्र हुए और फिर जुलूस की शक्ल में अंबेडकर चौक पहुंचे. वहां उन्होंने बाबा साहब को श्रद्धांजलि दी और मणिपुर घटना में मारे गए लोगों के प्रति संवेदना जताते हुए दो मिनट का मौन रखा. फिर उपायुक्त कार्यालय में पहुंचकर राष्ट्रपति को प्रेषित मांग पत्र उपायुक्त डॉ विजया जाधव को सौंपा. इसकी प्रति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, महामहिम राज्यपाल झारखंड एवं माननीय मुख्यमंत्री झारखंड को भी भेजी गई.
ये थे शामिल:इसमें मुख्य रूप से माझी बाबा डिमना दीपक मुर्मू, सीजीपीसी प्रधान भगवान सिंह, बोधी समाज सचिव प्रदीप बरुआ, कमल, प्रज्ञा बरुआ, जनजाति समाज डेमका सोय, जामा मस्जिद कमेटी के सचिव जवादुल हुसैन, सुमित राय, रियाज शरीफ, खालिद भाई, नेशनल क्रिश्चियन काउंसिल के राजू सोलोमन, केंद्रीय रविदास समाज से हरि बालक रविदास, रविदास समाज से भोला रविदास, सुबोध रविदास, अधिवक्ता भवेश कुमार, रविंदर प्रसाद, अधिवक्ता कुलविंदर सिंह, मदन मोहन, गोवानीज फ्रेडरिक डिसूजा, सुमित कर, गुरनाम सिंह, गुरशरण सिंह, अनवर हुसैन, सऊद आलम, परवेज, नेहा, गुड़िया, सीमा, रोशनी सहित बड़ी संख्या में सभी धर्म और संस्कृति के महिलाएं शामिल थे.