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फंड के अभाव में बंद हुआ सखी सेंटर, कर्मचारियों को सालों से नहीं मिला वेतन

घरेलू हिंसा और छेड़छाड़ से पीड़ित महिला, नाबालिग, किशोरी और युवतियों को न्याय दिलाने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से वन स्टॉप सेंटर की शुरुआत की थी. इसके तहत जमशेदपुर में भी वन स्टॉप सेंटर खोला गया था, लेकिन वर्तमान में यह बंद हो चुका है.

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Published : Jan 15, 2020, 11:59 AM IST

One stop center closed due to lack of funds in jamshedpur
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जमशेदपुर: घरेलू हिंसा और अन्य कारणों से पीड़ित महिला, नाबालिग, किशोरी, युवती को न्याय पाने के लिए इधर-उधर नहीं भटकना पड़े, वह एक छत के नीचे अपनी शिकायतों और परेशानियों को पुलिस और प्रशासन के सामने रख सके, इसके लिए लौहनगरी में वन स्टॉप सेंटर बनाया गया था. जिसकी स्थिती इन दिनों काफी खराब हो चुकी है.

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महिलाओं और युवतियों के साथ छेड़छाड़ और घरेलू हिंसा के मामले सामने आने के बाद महिला एवं बाल विकास विभाग ने वन स्टॉप सेंटर की स्थापना की थी. जहां महिलाओं के हिंसा से जुड़ी शिकायतों को सुना जाता है, लेकिन प्रशासन के लापरवाह रवैये के कारण इन दिनों इस सेंटर के हालत कुछ ठीक नहीं हैं. साल 2012 में दिल्ली में हुए सनसनीखेज निर्भया कांड के बाद साल 2017 में लौहनगरी में वन स्टॉप सेंटर की स्थापना की गई थी. जहां एक ही छत के महिलाओं से जुड़ी सभी शिकायतों का निपटारा होता था, लेकिन वर्तमान में यह सेंटर बंद है.

फंड में पैसा नहीं रहने से फोन कनेक्शन तक कट चुका है

लौहनगरी में युवतियों और महिलाओं की सुरक्षा और उनकी सुविधाओं के लिए बनाए गए वन स्टॉप सेंटर फॉर वूमेन सखी सेंटर विभागीय अव्यवस्था का शिकार बना हुआ है. फंड के अभाव में विगत दो साल से हेल्पलाइन नंबर भी बंद पड़ा है. फोन नंबर का बिल नहीं जमा होने से कनेक्शन काट दिया गया है. वन स्टॉप सेंटर में कार्य कर रहे कर्मचारियों को 22 माह से वेतन भी नहीं मिला है. दुष्कर्म, घरेलू हिंसा, दहेज प्रताड़ना जैसे मामले के निपटारा कराने वाली संस्था वन स्टॉप सेंटर का संचालन महिला एवं बाल विकास विभाग करती है. निर्भया जैसे जघन्य अपराध के बाद इसकी शुरुआत लौहनगरी स्थित रेड क्रॉस भवन में कई गई थी. सेंटर की हालत यह है कि सफाई करने वाला कर्मचारी के साथ सुरक्षा प्रहरी तक नहीं है. सुविधा नहीं मिलने के कारण सेंटर में काम ठप पड़ा है.

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घरेलू हिंसा पीड़ित महिलाओं को घर बैठें मिलती थी सुविधा

वन स्टॉप सेंटर के संचालनकर्ता ने बताया कि शहर के अलावा सरायकेला, चाईबासा के साथ ग्रामीण सुदूरवर्ती क्षेत्र घाटशिला के साथ ही दूसरे राज्य के कई थाना क्षेत्र और स्थानीय क्षेत्र की कई समस्याएं भी आती है. वन स्टॉप सेंटर से बात कर महिलाओं को न्याय दिलाया जाता है. सेंटर में परामर्श देने के साथ ही रिपोर्ट लिखवाने और वकील देकर मदद भी की जाती है. जिसमें घरेलू हिंसा, दहेज प्रताड़ना, यौन शोषण और बाल विवाह के ज्यादातर मामले होते हैं. ज्यादातर मामलों में सुविधाओं के अभाव में खंडहर में वन स्टॉप सेंटर तब्दील हो चुका है. बहरहाल, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ और महिलाओं सुरक्षा की लिए बनाए गए वन स्टॉप सेंटर की हालत खस्ता रूप में चल रही है. जरूरत है मुख्यमंत्री और सरकार के आला अधिकारी बेटियों के न्याय के लिए ऐसी सामाजिक संस्थाओं को आर्थिक मदद करें.

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