जमशेदपुर:राजस्थान के कोटा में एक महीने में 100 से ज्यादा बच्चों की मौत का मामला अभी सुर्खियों में है. इधर, जमशेदपुर के एमजीएम अस्पताल में 333 बच्चों की मौत की खबर सामने आई है. अस्पताल प्रबंधन ने अस्पताल में भर्ती बच्चों के सही से देखभाल नहीं होने के कारण 2019 में करीब 333 बच्चों की मौत हुई है.
वहीं, साल 2018 में 164 बच्चों की मौत हुई थी, कोल्हान के सबसे बड़े अस्पताल महात्मा गांधी मेडिकल मेमोरियल कॉलेज में 2018 में जनवरी से मई तक 164 नवजात बच्चों की मौत हुई थी, जिसमें एनआईसीयू (नीकु वार्ड) में 149 तो वहीं, पीआईसीयू (पिकु वार्ड) में 15बच्चों की मौत हुई थी. जबकि, 2019 में 333 बच्चों की मौत हुई. वहीं, शिशु विभाग के दर्ज आंकड़ों के मुताबिक 2019 में 1987 नवजात बच्चों के साथ बच्चियों का इलाज किया गया, जिसमें औसतन हर दिन एक बच्चे की मौत कम वजन के कारण हुई. ये भी देखें-नक्सलियों के नापाक मंसूबों पर CRPF और पुलिस बल ने फेरा पानी, प्लांटेड IED बम को किया निष्क्रिय
कुपोषण बड़ी समस्या
एमजीएम अस्पताल में जन्म लेने वाले बच्चे का वजन 500 ग्राम से लेकर 1.5 किलो तक का होता है. एनएफएचएस चार के मुताबिक नैशनल हेल्थ सर्वे 4 के आंकड़ों के मुताबिक 2018 में पूर्वी सिंहभूम जिले में 49 फीसदी बच्चे कुपोषण के शिकार हैं. जन्म के समय बच्चे का वजन कम से कम 2.5 किलो होना चाहिए. इससे कम वजन का बच्चा जन्म से कुपोषण का शिकार माना जाता है.
वहीं, बीजेपी महानगर जिलाध्यक्ष ने कहा सरयू राय व्यवस्था में सुधार लाएं, झारखंड में महागठबंधन की सरकार और हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री है. जमशेदपुर पूर्वी से निर्दलीय विधायक सरयू राय कई बार अस्पताल के बारे में चिंता जताया करते थे. जाहिर तौर पर हेमंत सरकार को इस पर ध्यान देने की जरूरत है.
क्या कहते हैं परिजन
पूर्वी सिंहभूम के सुदूरवर्ती गांव से आए परिजनों का कहना है कि बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था के बारे में पूछने पर डॉक्टर फटकार लगाते हैं. वहीं, बच्चे का औसतन वजन एक किलो तक का है. अस्पताल प्रबंधन ने बच्चों की मौत के सवाल पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.