घाटशिलाः उत्तराखंड के उत्तरकाशी टनल में फंसे पूर्वी सिंहभूम के डुमरिया प्रखंड के 6 मजदूरों के परिवार में खुशी की लहर है. परिवार वालों ने उनके बाहर निकलने से राहत की सांस ली. 6 मजदूर जो सुरंग में फंसे हुए थे उनके परिवारों में खुशी की लहर है. माणिकपुर गांव में प्रशासन की टीम पहुंचकर टनल में फंसे मजदूरों के परिजनों से मुलाकात की. उनके साथ मजदूरों के निकालने की खुशी में परिवार के लोगों को मिठाई भी खिलाई.
मंगलवार को देर रात तक मजदूरों के परिवार वाले इंतजार करते रहे कि कब खुशी के पल आए. उनका इंतजार खत्म हुआ और वह खुशी का पल आया. सुरंग में फंसे मजदूर बाहर निकलने लगे. ईटीवी भारत की टीम डुमरिया प्रखंड के सबर बस्ती में मजदूर टिंकू सरदार के घर पहुंची. उनके माता-पिता के साथ उनके भाई इंतजार कर रहे थे कि कब वो खुशी के पल आए और जैसे ही खबर मिली कि उनके भाई समेत मजदूरों को बाहर निकाला जा रहा है तो खुशी का ठिकाना ना रहा. आपको बता दें कि टिंकू सरदार के पिता बोनू सरदार को कैंसर है. बीमारी हालत में भी अपने बेटे की चिंता खाए जा रही थी. उनकी मां हीरा सरदार दूसरे के खेत में धान काटने का काम करती है और भाई पिंकू सरदार ड्राइविंग का काम करता है. पूरे परिवार को चिंता थी की कब उसके घर का बेटा, घर का लाल जो सुरंग में फंस गया है कब बाहर निकलेगा. सुरंग से जैसे ही बेटे की बाहर निकलने की खबर मिली तो घर पर खुशी का ठिकाना नहीं रहा.
बांकीशोल पंचायत स्थित बाहदा गांव निवासी भक्तू मुर्मू भी छह मजदूरों में से एक हैं. उनके सकुशल बाहर निकलने का इंतजार कर रहे 70 वर्षीय पिता बासेत उर्फ बारसा मुर्मू की सदमे में मौत हो गयी. बास्ते मुर्मू अपने दामाद ठाकरा हांसदा के साथ आंगन में खाट पर बैठे थे. अचानक वह खाट से नीचे गिरे और उनका दम निकल गया. दामाद ने इस जानकारी परिजनों को दी. भक्तू मुर्मू का बड़ा भाई रामराय मुर्मू भी कमाने के लिए चेन्नई गया हुआ है. वहीं, दूसरा भाई मंगल मुर्मू दूसरे गांव में मजदूरी करने गया था. घटना के वक्त घर पर बास्ते की पत्नी पिती मुर्मू, बेटी और दामाद थे.
14 दिनों से परेशान थे पिता. परिजनों के अनुसार, भक्तू मुर्मू के टनल में फंसने की सूचना गांव के सोंगा बांडरा ने दी थी. वह भक्तू के साथ काम करता है. सोंगा बांडरा सुरंग के बाहर है. 12 नवंबर के बाद से कोई प्रशासनिक पदाधिकारी हालचाल पूछने इस परिवार के पास नहीं पहुंचा था. इधर, हर दिन निराशाजनक सूचना मिलने से पिता बास्ते मुर्मू सदमे में चले गये. उनकी मौत के बाद पत्नी पिती मर्मू पत्थर बन गयी है. वह सुबह से पति की लाश के पास पत्थर बनी बैठी थी. उसकी आंख से आंसू तक नहीं बह रहे. आपको बता दें कि डुमरिया प्रखंड के कुल 6 मजदूर फंसे थे और सभी मजदूर के परिवार में आज खुशी की लहर है.