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दुमकाः पहाड़िया जनजाति की छात्राओं की मजबूरी, पहले ढोती हैं पानी, फिर करती हैं पढ़ाई - झारखंड

आदिम जनजाति पहाड़िया समाज की बच्चियों के लिए झारखंड सरकार द्वारा सदर प्रखंड के कैराबनी गांव में आवासीय विद्यालय की व्यवस्था की गई है. लेकिन विभागीय लापरवाही की वजह से इन्हें पानी के लिए काफी मेहनत करनी पड़ती है.

पानी के लिए जद्दोजहद

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Published : Feb 19, 2019, 8:07 PM IST

Updated : Feb 19, 2019, 9:40 PM IST

दुमकाः झारखंड सरकार आदिम जनजाति पहाड़िया समाज के उत्थान के लिए कई विशेष योजना चला रही है. उसी में से एक है इस समाज के बच्चियों के लिए आवासीय विद्यालय. लेकिन आवासीय विद्यालय कैराबनी में छात्राओं को गंभीर जलसंकट का सामना करना पड़ रहा है. आवासीय विद्यालय के नियमों को ताक पर रख कर ये बच्चियां हॉस्टल की चहारदीवारी से निकल कर गांव में पानी के लिए भटकती हैं.

देखिए, पूरी रिपोर्ट

आदिम जनजाति पहाड़िया समाज की बच्चियों के लिए झारखंड सरकार द्वारा सदर प्रखंड के कैराबनी गांव में आवासीय विद्यालय की व्यवस्था की गई है. नियम के मुताबिक इन्हें इनके छात्रावास की चहारदीवारी के अंदर ही सारी सुविधा देकर शिक्षा प्रदान करनी है. लेकिन विभागीय लापरवाही की इंतहा यह है कि स्कूल में जो पानी के लिए तीन बोरिंग है उसमें दो फेल हैं और एक से काफी कम मात्रा में पानी निकलता है.

ऐसे में बच्चियां बाल्टी लेकर गांव के कुएं से पानी भरने को मजबूर हैं. इससे उन्हें काफी परेशानी होती है. समय बर्बाद होता है और गांव वालों के भी विरोध का सामना करना पड़ता है. इस संबंध में छात्राओं का कहना है कि कम से कम प्रति छात्रा चार बाल्टी पानी भरना पड़ता है. कुआं काफी दूर है, इसलिए इसमें काफी समय निकल जाता है. वो कहती हैं स्कूल में ही हमें पानी की सुविधा दी जाए.

स्कूल के प्रिंसिपल का कहना है कि स्कूल में पानी ही नहीं है, तो बच्चियां गांव से पानी लाती हैं. इसमें हमेशा किसी अनहोनी का डर रहता है. वे कहते हैं खराब बोरिंग को बनाने के लिए कई बार विभागीय अधिकारियों को लिखित रूप से कहा गया है पर कोई कार्रवाई नहीं होती.

इस आवासीय विद्यालय का संचालन कल्याण मंत्री डॉ लुईस मरांडी के जिम्मे है. ऐसे में हमने सीधे-सीधे इस समस्या को उनके सामने रखा, तो उन्होंने कहा कि वह जल्द अपने अधिकारियों को इस समस्या के समाधन के लिए भेजेंगी.

Last Updated : Feb 19, 2019, 9:40 PM IST

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