दुमकाः उपराजधानी के मयूराक्षी नदी के तट पर शुक्रवार से राजकीय जनजातीय मेला महोत्सव शुरू हो गया. मेले का उद्घघाटन हिजला गांव के ग्राम प्रधान सुनीराम ने किया. पहले संथाल समाज के धार्मिक स्थल विश्व मरांग बुरु थान में पूजा-अर्चना की गई.
इस मौके पर संथाल परगना के डीआईजी राजकुमार लकड़ा , दुमका की उपायुक्त राजेश्वरी बी, एसपी वाई एस रमेश समेत कई पदाधिकारी मौजूद थे. यह महोत्सव 7 दिनों तक चलेगा. संथा लपरगना के लोगों को इसका पूरे वर्ष इंतजार रहता है. इस इलाके के लोगों के लिए एक पर्व-त्योहार की तरह है.
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क्या है इस मेले का इतिहास
हिजला मेला महोत्सव की शुरुआत अंग्रेजी शासनकाल में हुई थी. इसका उद्देश्य जनजातीय समाज इकट्ठा कर उनके लिए नीतियां बनाना, उनकी संस्कृति और रीति-रिवाजों का आदान प्रदान करना था. साथ ही साथ मेले का आयोजन कर जरूरत की वस्तुएं की खरीद बिक्री भी होती थी. तभी से यह परंपरा चलती आ रही है. यह मेले के आयोजन का 130 वां वर्ष है.
कई सरकारी विभागों की लगाई गई है प्रदर्शनी
हिजला मेले में कई सरकारी विभागों की प्रदर्शनी लगाई गई है, जिसमें सूचना और जनसंपर्क, कृषि, स्वास्थ्य, बागवानी, ग्रामीण विकास, खादीग्राम उद्योग की प्रदर्शनी प्रमुख है. इस प्रदर्शनी के माध्यम से सरकार की योजना लोगों तक पहुंचाई जाती है.
क्या कहना है ग्रामीणों का
आज उद्घघाटन के दिन भी गांव-गांव से लोग मेले को देखने पहुंचे थे. मेला में आई जनजातीय समाज की महिला कुसुम ने बताया कि वे लोग काफी उत्साहित रहते हैं. इतना ही नहीं वे लोग अपने दूर-दराज के रिश्तेदारों को इस मेले को देखने का निमंत्रण देते हैं और अपने घरों को अच्छी तरह से साफ सुथरा कर उनके आने का इंतजार करते हैं. फिर उनके साथ इस मेले में आकर भरपूर आनंद उठाते हैं. वहीं हिजला गांव के ग्राम प्रधान सुनीराम ने बताया कि इस मेले की वजह से उनकी संस्कृति पीढ़ी दर पीढ़ी काफी बेहतर तरीके से आगे बढ़ रही है.
क्या कहती हैं दुमका की उपायुक्त
इस मौके पर दुमका के उपायुक्त राजेश्वरी ने बताया कि संथाल परगना आदिवासी बहुल क्षेत्र है. ऐसे में इस मेले का आयोजन का उद्देश्य यहां के लोगों को सरकारी योजनाओं के बारे में जागरूक करना और उनके कल्चर को डेवलप करना है.