दुमकाः सरकार द्वारा करोड़ों रुपए विद्यालय भवन के निर्माण में खर्च करने के बाद आज भी झारखंड की उपराजधानी दुमका में सरकारी स्कूल के बच्चे पेड़ के नीचे बैठकर पढ़ते हैं. यह सुनकर आपको आश्चर्य होगा पर यह सच है. दुमका के सदर प्रखंड के बाराहरणा गांव में बच्चे सड़क में बोरा बिछाकर पढ़ने को मजबूर हैं.
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दुमका सदर प्रखंड के बाराहरणा गांव के प्राथमिक विद्यालय में बच्चे पेड़ के नीचे बोरा बिछाकर पढ़ते हैं. इसकी वजह यह है कि इस विद्यालय में एक से पांच वर्ग के बच्चे पढ़ाई करते हैं. जबकि क्लास रूम की संख्या सिर्फ दो है. इन दो क्लास रूम में एक तो पूरी तरह से छत से लेकर दीवार तक जर्जर है जिसे टीचर ने स्टोर रूम बना रखा है. जबकि दूसरे क्लास रूम की छत काफी पुरानी होने की वजह से दरक चुका हैं. मतलब दोनों क्लासरूम की स्थिति अच्छी नहीं है.
बच्चों को सड़क पर बैठाकर पढ़ाई कराने के संबंध में विद्यालय की शिक्षिका असुंता मुर्मू का कहना है कि विद्यालय भवन पूरी तरह से जर्जर है, छत और दीवार टूट-फूट चुके हैं. बरसात के दिन में क्लास रूम के अंदर पानी भी गिरता है. जिससे इसके हमेशा गिरने की संभावना बनी रहती है. इस वजह से हम मजबूरीवश बच्चों को विद्यालय के सामने सड़क पर पेड़ के नीचे बैठाकर पढ़ाते हैं. वह कहती हैं कि उनके लिए यह स्कूल बनना बहुत आवश्यक है. एक और समस्या यह है कि इस स्कूल के आसपास चार तालाब हैं. विद्यालय की टीचर असुंता मुर्मू कहती है कि हमेशा डर बना रहता है कि पता नहीं कौन बच्चा तालाब की ओर चला जाए.
भवन के बाहर पढ़ते हुए बच्चे
क्या कहते हैं बच्चेः ईटीवी भारत ने बाराहरणा विद्यालय के बच्चे से बात की. सोनी मुर्मू और जोसेफ टूडू दोनों ने बताया कि स्कूल तो हमारा कभी भी गिर सकता है. इसलिए हमें काफी डर लगता है और यही वजह है कि हम सड़क पर बोरा बिछाकर पढ़ते हैं. वो भी कहते हैं कि हमारा यह विद्यालय बनवा दीजिए, हम भी चाहते हैं कि हम क्लास रूम में बैठकर पढ़ें. बाराहरणा विद्यालय का सिर्फ भवन ही जर्जर नहीं है बल्कि इसकी बाउंड्री वाल भी नहीं है.
सरकार को ध्यान देने की आवश्यकताः दुमका जिला में कुल 1473 सरकारी प्राथमिक विद्यालय हैं पर इनमें से किसी भी विद्यालय में चाहरदीवारी नहीं है. जबकि जर्जर स्कूल की बात करें तो 100 से अधिक विद्यालय भवन की स्थिति बदहाल है. झारखंड राज्य निर्माण के 22 वर्ष बीत जाने के बाद भी अगर किसी सरकारी स्कूल के बच्चे भवन के अभाव में पेड़ के नीचे पढ़ने को विवश हैं तो यह दर्शाता है कि अभी बहुत काम करना बाकी है. वैसे भी सरकारी शिक्षा व्यवस्था की बदहाली किसी से छिपी नहीं है और अब आधारभूत संरचना भी सही नहीं रहे तो फिर कैसे सरकारी विद्यालय में पढ़ने वाले गरीब बच्चों का भविष्य बेहतर हो पाएगा.