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बासुकिनाथ के पंडों ने मंदिर न्यास समिति पर लगाया मनमानी का आरोप, उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग - पुजारी की मौत का मामला

दुमका के बासुकीनाथ मंदिर में नए साल के अवसर पर मंदिर गर्भ गृह में अचानक विद्युत करंट आ जाने से एक पुजारी की मौत हो गई थी और कई श्रद्धालु घायल हो गए थे. इससे आहत होकर बासुकीनाथ पंडा धर्मराक्षणी सभा के लोगों ने बैठक की. इस बैठक में प्रशासन पर लापरवाही का आरोप और घटना पर लीपापोती करने का आरोप लगाया है.

dispute between pandas and Basukinath temple trust committee
बासुकिनाथ के पंडा

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Published : Jan 4, 2020, 9:11 AM IST

दुमका: बासुकीनाथ मंदिर में नए साल के मौके पर पुजारी की मौत से पंडा समाज आहत है. इस घटना का सीसीटीवी कैमरा का फुटेज वीडियो वायरल हो गया है, जो इलाके में चर्चा का विषय बना हुआ है. वायरल वीडियो में मृतक पंडा को विद्युत करंट लगने का साफ दृश्य दिखाई पड़ रहा है. वहीं, मंदिर प्रबंधन युक्त पंडा की मौत विद्युत करंट से होने की बात को सिरे से खारिज कर रहा है. जिससे पंडा समाज में आक्रोश देखा जा रहा है. वहीं, सभा के अध्यक्ष ने कहा इस घटना की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए और मृतक को उचित मुआवजा मिलना चाहिए.

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श्रद्धालुओं को मंदिर में जाने से मनाही
पंडा धर्मराक्षणी सभा के अध्यक्ष मनोज पंडा की मानें तो अगर मौत का कारण विद्युत करंट नहीं है तो फिर पिछले 48 घंटे से श्रद्धालुओं को मंदिर गर्भगृह में प्रवेश क्यों नहीं करने दिया जा रहा है और आधा सिस्टम लगाकर बाहर से ही क्यों श्रद्धालुओं को पूजा कराया जा रहा है.

उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग
वहीं, धर्मराक्षणी सभा के महामंत्री संजय झा ने कहा कि प्रशासनिक अधिकारियों का बयान बेतुका है और प्रशासन इस मामले की लीपापोती करने की कोशिश कर रहा है और मंदिर प्रभारी को बचाने का प्रयास कर रहा है. पंडा समाज ने इस मामले की उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग की है और मृतक के परिजनों को उचित मुआवजा देने का मांग किया है. उन्होंने कहा कि अगर प्रशासन निष्पक्ष रूप से जांच नहीं करती है तो लोग सड़क से लेकर सदन तक इसका विरोध करेंगे और मृतक के परिजनों को न्याय दिलाएंगे.

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न्यास समिति का गठन
महामंत्री ने कहा कि विश्व प्रसिद्ध मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की परेशानी न हो इसके लिए मंदिर न्यास समिति की गठन हुई है और न्यास समिति ने मंदिर में सही व्यवस्था नहीं कर पा रही है. इससे अच्छा तो पुराने जमाने में पंडित ही मंदिर की व्यवस्था करते थे. इस लिए झारखंड सरकार से मांग करते हैं कि इस घटना की उच्चस्तरीय न्यायिक जांच कराई जाए.

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