दुमका:जिले की एक अदालत ने नरेगा योजना (अब नाम मनरेगा) में मजदूरों की गलत प्रविष्टी कर योजना राशि का गबन करने से संबंधित 16 साल पुराने एक मामले में दोष सिद्ध होने वाले एक कनीय अभियंता नंदकिशोर राय को तीन साल के कारावास की सजा सुनायी है. साथ ही कोर्ट ने मुआवजे के तौर पर तीन लाख रुपए भुगतान करने का भी फैसला सुनाया है.
नरेगा योजना के तहत सरकारी राशि गबन के 16 साल पुरान मामले में कोर्ट ने सुनाया फैसला, पूर्व कनीय अभियंता को तीन साल कैद की सजा
दुमका कोर्ट ने 16 साल पुराने नरेगा योजना के तहत सरकारी राशि गबन मामले में बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने पूर्व कनीय अभियंता को तीन साल कैद की सजा सुनाई है. साथ ही मुआवजे की रकम भी जमा करने का आदेश दिया गया है. Embezzlement of government funds under NREGA scheme in Dumka
Published : Oct 16, 2023, 10:06 PM IST
क्या है पूरा मामला:दुमका के प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी विजय कुमार यादव की अदालत में सोमवार को जामा थाना कांड संख्या 97/2007 में सजा के बिंदु पर सुनवाई हुई. सरकार की ओर से सहायक लोक अभियोजक खुशबुद्दीन अली और बचाव पक्ष की ओर से बहस सुनने के बाद न्यायालय ने जामा के तत्कालीन कनीय अभियंता नंदकिशोर राय को भादवि की धारा 409 के तहत तीन साल और 468 के तहत एक साल के कारावास के साथ मुआवजे के तौर पर तीन लाख रुपया भुगतान करने का फैसला सुनाया. मुआवजे की राशि अदा नहीं करने पर आरोपी को तीन महीने तक अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी. अभियोजन पक्ष की ओर से न्यायालय में नौ गवाह पेश किये गये.
सहायक लोक अभियोजक ने दी जानकारी:एपीपी से मिली जानकारी के मुताबिक, पूर्व उपायुक्त के निर्देश पर जामा के तत्कालीन प्रखंड विकास पदाधिकारी शशि भूषण मेहरा के लिखित आवेदन पर जामा थाना में कांड संख्या 97/2007 दर्ज किया गया था. भादवि की धारा 467, 468, 409 और 420 के तहत दर्ज मामले में तत्कालीन कनीय अभियंता नंदकिशोर राय को नामजद आरोपी बनाया गया था.
दर्ज प्राथमिकी के अनुसार जामा प्रखंड के जाराटिकर गांव के बेटका टुडू और 14 अन्य ग्रामीणों द्वारा उपायुक्त को एक परिवाद पत्र दिया गया था, जिसमें नरेगा योजना अंतर्गत सिलांदा से बजरा ग्राम तक ग्रेड 1 मिट्टी मोरम पथ निर्माण योजना में कोई कार्य नहीं करने का आरोप लगाया गया था. इस परिवाद पत्र पर त्वरित कार्रवाई करते हुए पूर्व उपायुक्त द्वारा गठित वरीय अधिकारियों की टीम से मामले की जांच करायी गयी. अधिकारियों की जांच प्रतिवेदन के आलोक में उपायुक्त द्वारा जामा के पूर्व प्रखंड विकास पदाधिकारी को आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए थे. इसी आलोक में पूर्व प्रखंड विकास पदाधिकारी द्वारा दर्ज मामले में उक्त योजना के अभिकर्ता कनीय अभियंता नंदकिशोर राय पर मजदूरों के जॉब कार्ड और मास्टर रोल में मजदूरी भुगतान की फर्जी प्रविष्टी कर सरकारी राशि का गबन करने का आरोप लगाया गया था.