दुमकाः प्लेनेटेरियम मतलब तारामंडल यह शब्द सुनते ही सितारों की दुनिया सामने आ जाती है. सौरमंडल से जुड़े तमाम तथ्य नजर के सामने झिलमिलाने लगते हैं. महानगरों में लोग बड़े शौक से तारों की दुनिया देखने वहां जाते हैं. अब लोगों के शौक को देखते हुए दुमका जैसे छोटे शहर में भी इसके निर्माण की परिकल्पना की गयी. लेकिन आज ये मात्र कल्पना ही साबित हो रही है.
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2014 में दुमका के विधायक हेमंत सोरेन झारखंड सरकार का बागडोर संभाल रहे थे. उस वक्त उन्होंने अपने विधानसभा के लोगों के लिए प्लेनेटेरियम की आधारशिला रखी. उस वक्त लोगों को लगा कि बहुत जल्द जिस प्लेनेटेरियम को देखने छोटे शहरों के लोग महानगरों में जाते हैं वह उनके शहर में उपलब्ध होगा, वो सितारों की दुनिया से रूबरू होंगे. छात्रों को लगा कि सौरमंडल से जुड़ी तमाम तथ्यों का वो अवलोकन कर सकेंगे.
झारखंड सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (science and technology department) के द्वारा लगभग 10 करोड़ की लागत से बनने वाले इस प्लेनेटेरियम का निर्माण कार्य शुरू भी हुआ. लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि 8 वर्ष बीत जाने के बाद भी यह पूरा नहीं हो सका है. अब तो इसका काम भी ठप है. इसके चालू होने को लेकर एक बड़ी बात यह भी है कि आज तक इसमें किसी तरह का कोई उपकरण का इंस्टॉल नहीं हुआ है. जबकि फिल्मी पर्दे की तरह ही इसमें आधुनिक तकनीक और बड़े-बड़े उपकरण लगने हैं.
जिला प्रशासन नहीं दे पाता कोई जानकारीः चूंकि यह मामला झारखंड सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग का है. इसलिए जिला स्तर के किसी भी पदाधिकारी को इसकी प्रोग्रेस की कोई जानकारी नहीं रहती. वैसे स्थानीय महकमा इसे मुख्यालय स्तर का मामला जरूर बताते हैं. मुख्यमंत्री के तौर पर 2014 में हेमंत सोरेन ने इसका शिलान्यास किया था. अब यह संयोग है कि वर्तमान समय में भी हेमंत सोरेन की सरकार है. ऐसे में उनके द्वारा प्लेनेटेरियम का काम जल्द से जल्द पूरा करना चाहिए ताकि दुमका सहित पूरे संथाल परगना के लोग इसका आनंद ले सकें.