दुमका:झारखंड सरकार के एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट की ओर से कृषि और किसानों की उन्नति के लिए तरह-तरह की योजनाएं चलाई जा रहीं हैं. लेकिन इन योजनाओं के क्रियान्वयन में लापरवाही बरती जा रही है. दुमका में इसका नजारा आम है.
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एग्रो टेक्नोलॉजी पार्क की योजना औंधे मुंह धड़ाम
दुमका के सदर प्रखंड के कड़हलबिल गांव में 10 वर्ष पूर्व 25 एकड़ जमीन पर करोड़ों रुपये खर्च कर एग्रो टेक्नोलॉजी पार्क बनाया गया था. इसे एक सरकारी फार्म हाउस के रूप में डेवलप करना था, किसानों को यहां आधुनिक और समेकित कृषि के लिए प्रशिक्षित करना था. लेकिन आज तक एग्रो टेक्नोलॉजी पार्क को इसके मानकों के अनुरूप विकसित नहीं किया जा सका. यहां जो दो पॉली हाउस बनाया गया था, वह भी खस्ताहाल है. एग्रो पार्क की जमीन का दूसरे काम में इस्तेमाल किया जा रहा है. इसके कैंपस में कन्वेंशन हॉल और म्यूजियम का निर्माण कराया जा रहा है.
सीड प्रोसेसिंग प्लांट खस्ताहाल
इस एग्रो टेक्नोलॉजी पार्क के ठीक सामने सीड प्रोसेसिंग प्लांट का निर्माण एक दशक पूर्व कराया गया था. यहां किसानों के लिए आधुनिक उत्तम क्वालिटी के बीज तैयार किया जाना था लेकिन आज तक यह चालू नहीं हो सका. साथ ही बिना इस्तेमाल के ही यह प्लांट खस्ताहाल हो चुका है. चारों तरह झाड़ियां उग आईं हैं. इसमें जो मशीनें लगी थीं, वह पूरी तरह से नष्ट हो चुकी हैं. अब बड़ा सवाल ये उठता है कि जब इसका इस्तेमाल ही नहीं करना था तो इस पर लाखों रुपए खर्च क्यों किए गए.
एग्रो टेक्नोलॉजी पार्क-सीड प्रोसेसिंग प्लांट सभी औंधे मुंह धड़ाम झारखंड सरकार में कई कृषि मंत्री संथाल परगना से हो चुकेकृषि विभाग की योजनाओं का यह हाल यहां तब है, जब झारखंड सरकार में कई कृषि मंत्री संथालपरगना क्षेत्र से हो चुके हैं. चाहे वे नलिन सोरेन हों या सत्यानंद झा बाटुल या फिर रणधीर सिंह या वर्तमान कृषि मंत्री बादल पत्रलेख, सभी संथाल परगना प्रमण्डल के ही अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों के विधायक रहे हैं और अलग अलग सरकार में कृषि मंत्रालय संभाल चुके हैंं.