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धनबाद में टोला क्लासेज ने दूर की गरीब छात्रों की परेशानी, कोरोना काल में भी खूब पढ़ रहे हैं बच्चे

धनबाद जिले में कोरोना काल में बच्चों को शिक्षा देने के लिए टोला क्लासेज की शुरुआत की गई है. वहीं टोला क्लासेज की शुरुआत होने से यहां के छात्रों में एक बार फिर से शिक्षा को लेकर खुशहाली देखी जा रही है.

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टोला क्लासेज की शुरुआत

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Published : Oct 6, 2020, 1:34 PM IST

धनबाद: कोरोना काल मे निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे अपनी पढ़ाई ऑनलाइन कर रहे हैं. लेकिन सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले ज्यादातर बच्चे बेहद ही गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं. इन परिवारों के पास न तो स्मार्टफोन है और न ही सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में बसे लोगों के पास मोबाइल नेटवर्क है. बच्चों की पढ़ाई एक बड़ी समस्या के रूप में इनके समक्ष खड़ी थी. ऐसे में इन बच्चों के लिए टोला क्लासेज अब मील का पत्थर साबित हो रहा है. कोरोना काल के दौरान स्कूल बंद होने के बावजूद बच्चे अब अपने घर के आसपास ही टोला क्लासेज में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं.

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टोला क्लासेज की शुरुआतजिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर बलियापुर प्रखंड का वीरसिंहपुर गांव है. झारखंड-बंगाल बॉर्डर के दामोदर नदी से सटा है यह गांव. गांव में बसे लोगों का मुख्य धंधा खेतीबारी है. स्मार्टफोन तो दूर की बात है यहां मोबाइल का नेटवर्क भी सही नहीं है. यहां स्थित स्कूल में लॉकडाउन के बाद से ताला लटका पड़ा है. अध्ययन छोड़कर बच्चे अपने घरों में रहने को मजबूर है. शिक्षा ग्रहण करना कोरोना काल में इनके लिए दूर की कौड़ी साबित हो रही थी. लेकिन टोला क्लासेज ने यहां के बच्चों में एक बार फिर से शिक्षा को लेकर खुशहाली ला दी है. अब इस स्कूल के प्रधानाध्यापक आदित्य प्रसाद मिर्धा की तरफ से टोला क्लासेज की शुरुआत की गई है. घर के आसपास ही 15 बच्चों का समूह बनाकर टोला क्लासेज चलाई जा रही है.

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टोला क्लासेज से बच्चे हो रहे लाभान्वित
टोला क्लासेज को लेकर स्कूल के प्रधानाध्यापक का कहना है कि स्कूल में कुल मिलाकर 326 बच्चे हैं. लेकिन सभी के पास स्मार्टफोन नहीं है. कुछ के पास स्मार्टफोन हैं तो नेटवर्क एक बड़ी समस्या के रूप में खड़ी हो रही थी. जिस कारण स्कूल में पढ़ने वाले सभी बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई कराना मुनासिब नहीं था. टोला क्लासेज से सभी बच्चे लाभान्वित हो रहे हैं.

बच्चों में उत्साह का माहौल
सहायक शिक्षिका का कहना है कि स्कूल में हम जाते थे. लेकिन सिर्फ ऑफिसियल काम ही करते थे. उन्होंने कहा कि बिना बच्चों के आखिर स्कूल का क्या मतलब है. शिक्षिका कहती हैं कि बच्चों को पढ़ाने पर यह महसूस हो रहा है कि वाकई में हम अपना काम कर रहें है. वहीं बच्चे भी टोला क्लासेज के शुरू होने पर बेहद उत्साहित हैं. बच्चे कहते हैं कि हमें घर में कोई न तो बताने वाला था और न ही पढ़ाने वाला. अब टोला क्लासेज के शरू होने से. हम कड़ी मेहनत करेंगे और कोरोना काल का भी डटकर मुकाबला करेंगे.

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