धनबाद:देश के करोड़ों हिंदुओं के राम मंदिर निर्माण का सपना अब पूरा होने वाला है. इसके साथ ही राम मंदिर निर्माण को लेकर 1990 से 92 के बीच जो आंदोलन हुए वह यादें भी जेहन में ताजा हो जा रही हैं. उस आंदोलन में शरीक हुए कुछ लोग धनबाद में हैं. शहर के हीरापुर माडा कॉलोनी प्रेम नगर के रहने वाले रंजीत तिवारी उर्फ लल्लू तिवारी राम मंदिर आंदोलन के दौरान विवादित बाबरी ढांचा के ऊपर पहला झंडा गाड़ा था.
रंजीत तिवारी उर्फ लल्लू तिवारी ने मंदिर निर्माण में ईंट भी लगाई थी. अयोध्या से लौटकर वह धनबाद स्टेशन पहुंचे. स्टेशन के एंट्रेंस पर पुलिस तैनात थी. जिसके बाद स्टेशन के पीछे से भागकर वह हीरापुर शमशान पहुंचे. जहां सात दिन लल्लू तिवारी ने गुजारे. 1990 से 1993 तक वह तीन साल अज्ञातवास में रहे. 17 साल उन्होंने मुकदमा झेला, लेकिन अब उन्हे एक सुखद एहसास हो रहा है कि उन्होंने जो सपना देखा अब वह पूरा होने वाला है.
ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान लल्लू तिवारी ने कहा कि 1984 में बजरंग दल शामिल हुए थे. हर मोहल्ले में घूम घूमकर बजरंग दल का सदस्य बनाते थे. इसी बीच राम मंदिर निर्माण आंदोलन शुरू हुआ. इस आंदोलन में वह शामिल हो गए. बजरंग दल में नगर प्रमुख के पद पर रहते हुए आंदोलन को आगे बढ़ाया और 1990 में हजारों कार सेवकों के साथ अयोध्या पहुंचे.
रंजीत तिवारी उर्फ लल्लू तिवारी ने बताया कि बाबरी ढांचा के आगे पुलिस खड़ी थी. झंडा गाड़ने के बाद पीछे से हम भाग गए. 1990 में बाबरी ढांचा विध्वंस करने का काम किया. इसके बाद कार सेवकों ने ईंट की जुड़ाई शुरू की. ईंट लाने और अन्य कार्य में हाथों के छाले पड़ गए थे. लाखों कारसेवकों ने मिलकर आठ फीट दीवार खड़ी की थी.
रंजीत तिवारी ने बताया कि साढ़े बारह बजे पहला गुंबद तोड़ा गया, डेढ़ से दो बजे के बीच दूसरा गुंबद टूटा और साढ़े तीन बजे तीसरा गुंबद तोड़ा गया. कार सेवकों के द्वारा दीवार खड़ी की गई. इसके बाद पांच बजे कर्फ्यू लग गया. उन्होने कहा कि अब हालात बहुत बदल गए हैं, उस समय की कल्पना अब जमीनी रूप ले रही है. लल्लू तिवारी ने पीएम मोदी और यूपी के सीएम योगी को राम मंदिर निर्माण के लिए धन्यवाद दिया है.