धनबाद: झरिया के लक्ष्मीनिया मोड़ स्थित हवेली, प्रसिद्ध व्यवसायी रामजस अग्रवाल की है. रंग-रोगन और मरम्मती के अभाव में अब यह दम तोड़ती नजर आ रही है, लेकिन यह हवेली आज भी इतिहास के पन्नों को अपने आप में समेटे हुए है. कभी इस हवेली में रौनक रहा करती थी.
बापू को हमेशा मदद करते थे रामजस अग्रवाल
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एक नहीं बल्कि चार-चार बार इस हवेली में आ चुके हैं. उन्हें जब भी बड़ी राशि की जरूरत होती थी. रामजस अग्रवाल से उस राशि की जरूरत को पूरा करने के लिए पहुंचते थे. साल 1922 से 1934 के बीच बापू ने चार बार कोयलांचल का दौरा किया था. साल 1922 में बिहार के गया में कांग्रेस अधिवेशन की तैयारी चल रही थी.
सहायता राशि के लिए आए थे बापू
अधिवेशन में एक बड़ी राशि की जरूरत थी. देशबंधु चितरंजन दास ने उस राशि के लिए रामजस अग्रवाल का नाम सुझाया था, फिर बापू देशबंधु चितरंजन दास के साथ इस हवेली में रामजस अग्रवाल से मिलने पहुंचे थे. बापू को देखने के लिए लोगों की काफी भीड़ इकट्ठा हो गई. अधिवेशन की बात सुनकर रामजस अग्रवाल ने ब्लैंक चेक देकर बापू से खुद राशि भरने का आग्रह किया था.