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यहां बेटियां हैं पहरेदार! जानिए, ऐसा क्यों और किसलिए है? - गांव की चौकीदारी करती हैं लड़कियां

पूरा देश कोरोना महामारी (corona pandemic) से जूझ रहा है. झारखंड भी इससे अछूता नहीं है. केंंद्र और राज्य सरकार कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए कई कदम उठा रही है. धनबाद में ऐसा भी एक गांव है. जहां कोरोना ने अभी तक दस्तक नहीं दी है. इस गांव में कोरोना के एक भी मामले सामने नहीं आए हैं. इसके लिए गांव की बेटियों का काफी अहम रोल है. आखिर कैसे बेटियां इस गांव को सुरक्षित रखी है. देखिए इस रिपोर्ट में.

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बेटियां पहरेदार!

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Published : Jun 5, 2021, 9:43 AM IST

Updated : Jun 5, 2021, 2:20 PM IST

धनबादः बेटियां कोरोना से गांव की रक्षा कर रही हैं. धनबाद में बाघमारा प्रखंड के धावाचिता पंचायत के दलदली गांव में घर की बेटियां कोरोना को लेकर व्यापक तौर पर जागरुकता अभियान चलाया है. जिससे इस गांव में अब तक कोरोना की दस्तक नहीं हुई है.

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बाघमारा प्रखंड के धावाचिता पंचायत का दलदली गांव की आबादी करीब 600 है, यह पूरी तरह से आदिवासी गांव है. अब तक यहां कोरोना ने दस्तक नहीं दी है. कोरोना संक्रमण की पहली लहर से ही गांव के लोग सचेत हैं. गांव की बेटियों का इसमें अहम रोल है. बेटियां गांव के मुख्य प्रवेश के रास्ते पर एक चबूतरे पर पीपल के वृक्ष की छाया में बैठकर पहरेदारी करती हैं. सभी मास्क लगाकर सोशल डिस्टेंसिग (social distancing) का पालन करते हुए गांव में प्रवेश करने वाले हर आने-जाने वालों पर नजर रखती हैं.

बाहरी व्यक्तियों पर रखी जाती है नजर

जब भी कोई बाहरी व्यक्ति आता है तो उसे सबसे पहले मास्क लगाने की हिदायत दी जाती है, हाथों को सैनिटाइज (sanitize) करवाया जाता है. यही नहीं उसे कोरोना की जांच के लिए कहा जाता है. बाहरी लोगों को कोरोना जांच (corona test) के बाद ही गांव में प्रवेश करने दिया जाता है. इन लड़कियों का कहना है कि जब सरकार कोरोना की रोकथाम के लिए इतना कुछ कर रही है तो हमारा भी फर्ज बनता है कि सरकार के साथ कदम से कदम मिलाकर चलें. सरकार की गाइडलाइंस का पालन करने की गांव की लड़कियों ने अन्य लोगों से अपील की है.

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गांव की लड़कियों का अहम रोल
गांव के युवाओं का कहना है कि हम सभी मिलकर एक मुहिम चला रहे हैं. जिससे लोगों को आने वाले संक्रमण से बचाया जा सके. इस कार्य में गांव की लड़कियों का बहुत बड़ा योगदान है. उन्होंने कहा कि अगर हमारे गांव की लड़कियां जागरूक नहीं रहती तो शायद हमारा गांव कोरोना मुक्त नहीं होता. गांव के ही अरुण टुडू ने बताया कि पुरुषों और लड़कों के पास ज्यादा समय नहीं रहता है. महिलाएं और लड़कियां गांव में घूम-घूमकर लोगों को कोरोना के प्रति जागरूक किया, आज उसी का परिणाम है कि हम सभी कोरोना से पूरी तरह सुरक्षित हैं.

Last Updated : Jun 5, 2021, 2:20 PM IST

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