धनबादःनीरज हत्याकांड में जेल में बंद झरिया के पूर्व भाजपा विधायक संजीव सिंह ने अपने चाचा पूर्व मंत्री बच्चा सिंह एवं झरिया से कांग्रेस विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह के विरुद्ध आपराधिक अवमानना की कार्रवाई चलाने की याचिका अदालत में दायर की है. शनिवार को जिला एवं सत्र न्यायाधीश अखिलेश कुमार की अदालत में संजीव की ओर से आवेदन देकर कहा गया कि नीरज हत्याकांड में पूर्णिमा नीरज सिंह एवं बच्चा सिंह दोनों आरोपपत्र के गवाह संख्या 38 एवं 39 है. कांड दैनिकी के कंडिका 447 में पूर्णिमा सिंह का एवं कंडिका 449 में बच्चा सिंह का बयान अनुसंधानकर्ता ने दर्ज किया है. आरोप है कि इसके बावजूद ये लोग अदालत के बाहर बयानबाजी कर न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित कर रहे हैं.
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अधिवक्ता जावेद ने अदालत में दलील दी कि झरिया की वर्तमान विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह, मृतक नीरज सिंह की पत्नी है जबकि बच्चा सिंह चाचा हैं. बावजूद इसके वह न्यायालय में अपना बयान दर्ज कराने के लिए नहीं उपस्थित हुए. अब गवाही बंद हो जाने के बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और मीडिया में बयानबाजी कर कार्रवाई को बाधित कर रहे हैं, जिससे फेयर ट्रायल प्रभावित हो रहा है. आवेदन में संजीव ने आरोप लगाया है कि पूर्णिमा नीरज सिंह ने 5 मई 2022 को अखबारों में यह बयान दिया कि धनबाद में आपराधिक घटनाओं का सिलसिला नया नहीं है. 2017 में जो नरसंहार हुआ था, उसमें भी यही अपराधी शामिल थे. इन अपराधियों को पूर्व भाजपा विधायक का संरक्षण प्राप्त था.
विधायक पूर्णिमा सिंह और पूर्व मंत्री बच्चा सिंह पर अवमानना के लिए आवेदन, न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिश का आरोप
नीरज हत्याकांड में जेल में बंद झरिया के पूर्व भाजपा विधायक संजीव सिंह ने अपने चाचा पूर्व मंत्री बच्चा सिंह एवं झरिया से कांग्रेस विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह के विरुद्ध आपराधिक अवमानना की कार्रवाई चलाने के लिए अदालत में याचिका दायर की है. पूर्व विधायक ने दोनों पर न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिश का आरोप लगाया है.
आरोप है कि पोस्ट में लिखा है कि अपराधी जेल में बंद होने के बाद भी अपना साम्राज्य कायम करने का प्रयास कर रहे हैं. धनबाद जेल को अपना मुख्यालय बना रखा है. यहां से धनबाद बोकारो जिले के व्यवसायियों,आउटसोर्सिंग कंपनी के मालिकों, ठेकेदारों व बड़े दुकानदारों को सभी संभ्रांत प्रतिष्ठित व्यक्तियों को फोन से धमकी देकर लाखों रुपये रंगदारी मांगने का आपराधिक कृत्य संजीव सिंह तथा उनके शागिर्द पिछले दो-तीन वर्षों से कर रहे हैं. अधिकांश लोग जान के डर से संजीव सिंह को रंगदारी पहुंचा रहे हैं जो नहीं देते हैं उनकी हत्या करवा दी जाती है. सोची समझी राजनीति के तहत अमन सिंह के नाम को आगे किया जाता है लेकिन असली अपराधी संजीव सिंह ही हैं. पुलिस सब कुछ जानकर पब्लिक को भ्रम में रखने के लिए अमन सिंह का नाम बताती है.
संजीव ने आरोप लगाया है कि बच्चा सिंह द्वारा फेसबुक पर किया गया यह पोस्ट संजीव के चरित्र व प्रतिष्ठा का हनन करने वाला है. अभी मुकदमा अदालत में लंबित है अदालत ने किसी को दोषी करार नहीं दिया है. इसके बाद भी जानबूझकर पूरी सुनवाई की प्रक्रिया को प्रभावित करने के लिए, समाज में उन्हें बदनाम करने की साजिश रची जा रही है, ताकि आम जनों के दिमाग में संजीव के प्रति गलत धारणा कायम हो जाए. यह सीधे तौर पर न्यायिक कार्य में हस्तक्षेप है. चूंकि अभी मामले की सुनवाई अदालत में चल रही है. ऐसे में मुकदमे पर भी इसका असर पड़ता है. सुनवाई के दौरान संजीव के अधिवक्ता मोहम्मद जावेद ने दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा सुभाष चंद्र बनाम एसएम अग्रवाल में पारित निर्णय का भी हवाला दिया. समाचार लिखे जाने तक मामले में सुनवाई चल रही है.