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धनबाद के गोमो रेलवे स्टेशन पर डेटोनेटर ब्लास्ट, दो रेलकर्मी घायल

धनबाद के Gomo railway station परिसर में झंडा फहराने के दौरान हादसा हुआ है. जिसमें दो कर्मचारी घायल हो गए.

Gomo railway station of Dhanbad
Gomo railway station of Dhanbad

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Published : Aug 15, 2022, 3:48 PM IST

Updated : Aug 15, 2022, 5:49 PM IST

धनबादः गोमो रेलवे स्टेशन(Gomo railway station ) परिसर में झंडोतोलन के दौरान एक डेटोनेटर फटने(detonator blast) से दो रेलकर्मी घायल हो गए हैं. घायलों कर्मचारियों के नाम में शशिभूषण और दीपक हैं. झंडोत्तोलन के दौरान डेटोनेटर को ब्लास्ट कर झंडे को सलामी दी जा रही थी. इस दौरान यह हादसा हुआ है. हादसे के बाद अफरा-तफरी मच गई.

घटना के संबंध में बताया जाता है कि झंडोतोलन के दौरान क्रू लॉबी और स्टेशन में पटरी पर डेटोनेटर बांधकर झंडे को सलामी दी जा रही थी. इसी क्रम में क्रू लॉबी और स्टेशन परिसर में डेटोनेटर फटने (detonator blast) से दो रेलकर्मी घायल हो गए. घायलों में दीपक कुमार और शशिभूषण. दोनों ही रेलवे के सहायक चालक हैं. शशिभूषण गोमो में कार्यरत हैं. जबकि दीपक कुमार कोडरमा में कार्यरत हैं. शशिभूषण के हाथ में चोट है जबकि दीपक कुमार के पेट में चोट लगी है. दोनों घायलों को गोमो रेलवे स्वास्थ्य केंद्र में प्राथमिक उपचार कराकर छोड़ दिया गया.


रेलवे की जानकारों की माने तो डेटोनेटर का इस्तेमाल फॉग सिग्नल के रूप में किया जाता है. डेटोनेटर मुख्य रूप से गार्ड और रेलवे ड्राइवर को दिया जाता है. जहां कहीं भी रेल हादसा होता है. हादसे के वक्त सबसे आगे रेल इंजन से करीब एक किलोमीटर की दूरी पर रेलवे ट्रेक पर और सबसे पीछे भाग जहां गार्ड मौजूद रहता है, उस स्थान से एक किलोमीटर आगे डेटोनेटर का इस्तेमाल रेलवे ट्रैक पर किया जाता है. ऐसा सुरक्षा के लिहाज से किया जाता है. ताकि दुर्घटनाग्रस्त रेल के आगे से और पीछे से कोई ट्रेन आए तो टक्कर ना हो और किसी तरह की फिर जानमाल की क्षति हो.

दुर्घटनाग्रस्त ट्रेन के आगे या पीछे कोई ट्रेन आती है तो एक किलोमीटर की दूरी पर लगा यह डेटोनेटर (फोग सिग्नल) ब्लास्ट कर जाता है और तेजी के साथ धुंआ निकलने लगता है. जिससे कि ट्रेन के ड्राइवर को यह तुरंत जानकारी हो जाती है कि आगे कोई रेल दुर्घटनाग्रस्त हुई है. इससे दोनों ट्रेनें एक दूसरे से नहीं टकराती और जानमाल की क्षति से सुरक्षा मिलती है. डेटोनेटर की अवधि सात साल तक रहती है. सात साल तक यह फॉग सिग्नल के रूप में काम कर सकता है. इसके बाद यह एक्सपायरी के रूप में आ जाता है. इन्ही एक्सपायरी डेटोनेटर का इस्तेमाल झंडे को सलामी देने के रूप में किया जाता है.

Last Updated : Aug 15, 2022, 5:49 PM IST

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