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डीजीएमएस का 120वां स्थापना दिवस, सिंफर निदेशक ने कहा- सुरक्षित हाथों में खनन उद्योग - धनबाद डीजीएमएस समाचार

धनबाद में डीजीएमएस का 120वां स्थापना दिवस मनाया गया. इस समारोह में सिंफर के निदेशक डॉ पीके सिंह ने डीजीएमएस के 120वें स्थापना दिवस समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए.

120th foundation day of dgms celebrated in dhanbad
डीजीएमएस का 120वां स्थापना दिवस

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Published : Jan 7, 2021, 7:47 PM IST

धनबाद: खदानों में सुरक्षा संबंधी जिम्मेवारियों के निर्वहन के लिए 1901 में अंग्रेजों ने डीजीएमएस की स्थापना की थी. डीजीएमएस का गौरवशाली इतिहास रहा है. राष्ट्र निर्माण में डीजीएमएस का बहुमूल्य योगदान है. डीजीएमएस का भविष्य उज्ज्वल है और आगे भी रहेगा जब तक मिनरल की जरूरत है इस संस्थान की उपयोगिता बरकरार रहेगी. आज भारत का खनन उद्योग सुरक्षित हाथों में है. ये बातें सिंफर के निदेशक डॉ पीके सिंह ने डीजीएमएस के 120वें स्थापना दिवस समारोह को बतौर मुख्य अतिथि सभा को संबोधित किया.

डीजीएमएस का 120वां स्थापना दिवस

डीजीएमएस निरंतर आगे बढ़ रहा है

उन्होंने अपने संबोधन में आगे कहा की आनेवाले 30 वर्षो में कोयले की उपयोगिता घटेगी. आज प्रतिदिन 1 लाख 88 हजार मेगावाट बिजली उत्पादन में 62 प्रतिशत के करीब कोयला बर्न हो रहा है. नीति आयोग इसे कम करने की प्लानिंग कर रहा है. 30 वर्षो के बाद थर्मल पावर प्लांट की संख्या घटेगी कोयले का इस्तेमाल मिथनॉल इकनॉमी में गेसिफिकेशन इकनॉमी में इस्तेमाल किया जाएगा. खान सुरक्षा महानिदेशक प्रभात कुमार ने अपने सम्बोधन में कहा सबका साथ लेकर डीजीएमएस निरंतर आगे बढ़ रहा है.

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खान दुर्घटनाएं रोकना बड़ी चुनौती
खान दुर्घटनाओं को रोकना संस्थान के लिए सबसे बड़ी चुनौती है. दुर्घटनाओं की फेर्टिलिटी रेट को जीरो पर लाना लक्ष्य है. इसके लिए माइनिंग इंडस्ट्रीज रिसर्च संस्थान सभी को मिलाकर एक कमिटी बननी चाहिए तथा कही कोई खतरा है कोई समस्या है तो उसे दूर करने पर सभी का फोकस हो एक मंथन हो. उन्होंने कहा अपने पांच माह के कार्यकाल में निष्ठापूर्ण तरीके से संस्था के हित में कार्य करने का प्रयास किया. जिसमें कुछ ऑफिसर्स के पदोन्नति, ट्रांसफर के मामलों का निष्पादन किया गया है. माइनिंग निदेशक के 45 पद रिक्त है जिन्हें जल्द ही भर लिया जाएगा. माइंस सेफ्टी हेतु नए रूल भी तैयार हुए है जिसे अप्रैल से लागू किया जाना है. उन्होंने बताया डीजीएमएस आज इस ऊंचाई पर है कि डीजीएमएस की कही बातों को बिना संशोधन किए मान लिया जाता है यह संस्थान की उपलब्धि है.

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