देवघर:दिवाली के अवसर पर अपने घरों को दीपों से सजाने और उसकी रोशनी से जगमग करने की परंपरा रही है, लेकिन देवघर में अपने घरों में दीप जलाने से पहले बाबा बैद्यनाथ प्रांगण में दीप जलाने की अति प्राचीन परंपरा है. इस पौराणिक परंपरा के तहत आज भी यहां के लोग पहले बाबा मंदिर प्रांगण में दीप प्रज्वलित करते हैं. उसके बाद ही अपने घरों में दिए जलाकर दिवाली मनाते हैं.
देवघर में दिवाली मनाने की अलग है परंपरा, जानें क्या है खासियत
दिवाली के दिन लोग अपने-अपने घरों में दीप प्रज्वलित कर सुख-समृद्धि की कामना करते हैं, लेकिन देवघर में दिवाली मनाने की परंपरा अन्य जगहों से भिन्न है. यह परंपरा सदियों से चली आ रही है.
दिवाली के दिन लोग अपने-अपने घरों में दीप प्रज्वलित कर सुख-समृद्धि की कामना करते हैं, लेकिन देवघर में दिवाली मनाने की परंपरा अन्य जगहों से भिन्न है. यहां दिवाली के दिन, पहले बाबा मंदिर में दीप प्रज्जवलित किया जाता है. उसके बाद ही लोग अपने घरों में दीप जलाते हैं.दिवाली के दिन बाबा मंदिर प्रांगण का नजारा अलग होता है. दीपों से पूरा मंदिर परिसर जगमगा उठता है. बाबा बैद्यनाथ के प्रति यहां के लोगों की अटूट आस्था अब परंपरा का रूप ले चुकी है. यहां के तीर्थपुरोहित भी मानते हैं कि यह परंपरा इस तीर्थस्थल की खास विशेषता है और यह सदियों से चली आ रही है.
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दिवाली के दिन अपने घरों से पहले बाबा मंदिर को रोशन करने की यह पौराणिक परंपरा इस तीर्थस्थल को एक अलग पहचान तो देती ही है, साथ ही इस ज्योति पर्व पर अंधकार रूपी नकारात्मक शक्तियों से लड़ने के लिए अलौकिक प्रकाश पुंज से अवतरित पवित्र द्वादश ज्योतिर्लिंग की आराधना के महत्व को भी परिलक्षित करती है.