देवघर: संथाल परगना का प्रसिद्ध व ऐतिहासिक तीन दिवसीय बुढ़ेश्वरी नवान्न मेला 28 नवंबर से शुरू होगा (three day budeshwari navanna mela in deoghar). इस मेले की तैयारी को लेकर एसडीओ आशीष अग्रवाल और एसडीपीओ बिनोद रवानी ने मेला स्थल निरीक्षण किया (preparation of three day budeshwari navanna mela) और ग्रामीणों के साथ बैठक किया. मेला को सफल बनाने के लिए ट्रैफिक व्यवस्था, पेयजल, असामाजिक तत्वों पर कड़ी निगरानी को लेकर चर्चा की गयी.
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तीन दिवसीय नवान्न मेला: तीन दिवसीय मेला 28 से नवंबर से शुरू होकर 30 तक चलेगा. इस मेले में बिहार, पश्चिम बंगाल, ओड़िशा, झारखंड से लगभग 7-8 लाख की संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं. इस क्षेत्र की परंपरा है कि धान की पहली फसल से मां बुढ़ेश्वरी की पूजा के बाद ही नया अन्न ग्रहण करते है. प्रखंड के नयनाभिराम पर्यटक स्थल बुढ़ैई में 28 नवंबर को लगने वाले तीन दिवसीय नवान्न मेला दही-चूड़ा से बुढ़ैई माता की पूजन के साथ शुरू होगा. मेले की तैयारी अंतिम चरण में है. पूजा के बाद मंदिर परिसर में बैठकर लोग दही, चूड़ा, गुड़ का प्रसाद ग्रहण करते हैं.
मेले में लाखों की संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं:30 नवंबर की देर शाम मेला का समापन होगा. नवान्न मेला की तिथि घोषित होते ही तैयारी काफी जोर-शोर से शुरू कर दी गयी है. इस मेले में लाखों की संख्या में लोग प्रदेश के साथ साथ दूसरे राज्यों से आते हैं. यहां मन्नत पूरी होने के उपलक्ष्य में बकरे की बलि दी जाती है. बुढ़ैई एक दर्शनीय पर्यटक स्थल है. इसके मद्देनजर झारखंड के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के कार्यकाल में बुढ़ैई पर्यटन क्षेत्र का सौंदर्यीकरण किया गया था. इसके तहत करोड़ों की लागत से पुल का निर्माण भी हुआ, जिससे आवागमन सुगम हो गया.
पहाड़ के ऊपर बुढ़ेश्वरी माता का मंदिर:यह पर्यटन स्थल जिला मुख्यालय से मात्र 25 किमी की दूरी पर है. यह अपने पीछे एक लंबा इतिहास लिए खड़ा है. बुढ़ैई गांव से बिल्कुल सटा हुआ बुढ़ेश्वरी पहाड़ है जो अपने कोख में कई रहस्य छिपाये हुए है. चार वर्ग किमी के वृताकार में सात पर्वत श्रृंखलाएं हैं. जो लगभग एक ही काले रंग के पत्थरों की बनी हुई है. पहाड़ों के बीच स्थित झरना रूपी तालाब प्राकृतिक सौंदर्यता का बोध कराता है. पहाड़ के ऊपर बुढ़ेश्वरी माता का मंदिर है. जिसके चारों ओर बड़ी-बड़ी चार गुफाएं हैं. इन गुफाओं के विषय में कहा जाता है कि बुढे़श्वरी माता मंदिर के दर्शन के लिए आने वाले भक्त घंटों इन गुफाओं में बिताकर सुकून और ताजगी का अनुभव करते हैं.