देवघरः जिले में शिवलिंग को स्थापित करने के साथ ही हरिलाजोरी जगह की भी स्थापना हुई थी. दरअसल, रावण जब कठिन तपस्या कर शिवलिंग को लेकर लंका जा रहा था. इसी हर्तकीवन यानी हरिलाजोरी में ही देवताओं ने भगवान विष्णु को चरवाहे के रूप में भेजा था, जिसके बाद रावण से छल कर शिवलिंग को देवताओं ने प्राप्त कर लिया था. वहीं, हरिलाजोरी में ही भगवान विष्णु और शिव का मिलन हुआ था, इसलिए इसे हरि और हर के मिलन स्थल के रूप में जाना जाता है और इस जगह का नाम हरिलाजोरी पड़ा.
हरि और हर का मिलन 'हरिलाजोरी'
पौराणिक कथाओं के अनुसार रावण ने घोर तप कर वरदान स्वरूप शिवलिंग को लंका लेकर जा रहा था. इस दौरान देवताओं ने भगवान विष्णु को चरवाहे के रूप में भेजा, जिसके बाद छल स्वरूप विष्णु ने रावण से शिवलिंग ले लिया. कहा जाता है कि जब भगवान विष्णु ने चरवाहे का रूप लेकर शिवलिंग को पकड़ा तो इस दौरान हरि और हर का मिलन हो रहा था. कथाओं में यह वर्णित है कि रावण जिस झोले में शिवलिंग को लेकर जा रहा था, विष्णु रूपी चरवाहे ने शिवलिंग को बाबा नगरी में स्थापित कर दिया, लेकिन खाली झोले को एक हरला के पेड़ पर टांग दिया और वह पेड़ उसी समय झुक गया और शिवलिंग निकल आया, जिसे शंभुलिंग कहा जाता है. यहां विष्णु भगवान मानव रूप में आए और शिव को हाथों में थामा, इसलिए इसे हरि और हर का मिलन स्थल कहा जाता है और आज भी यहां भगवान विष्णु की चरण पादुका मौजूद है.