देवघर:जिले में पुलिस की ओर से लगातार साइबर के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है. इस दौरान अब तक सैकड़ों साइबर अपराधियों को गिरफ्तार भी किया जा चुका है. यही नहीं देश के कोने-कोने से पुलिस साइबर अपराधियों की तलाश में देवघर पहुंच रही है. ऐसे में आये दिन देवघर पुलिस साइबर अपराधियों के खिलाफ अभियान चलाकर उसे दबोच रही है.
कई तरह से होती है ठगी
साइबर अपराधी लोगों को अपना शिकार बनाने के लिए कई तरह के हथकंडे अपनाते हैं. जैसे फर्जी मोबाइल नंबर से कस्टमर केयर अधिकारी बन, बैंक अधिकारी बन, एटीएम बंद होने और केवाइसी अपडेट करने के नाम पर कॉल कर ओटीपी प्राप्त करते हैं और ठगी का काम करते हैं. इतना ही नहीं कई अन्य विधि का भी इस्तेमाल करते हैं. जैसे केवायसी अपडेट करने के नाम पर, आधार कार्ड नंबर लेकर खाता लिंक कराने के नाम पर फोन-पे, पेटीएम, मनी रिक्वेस्ट भेजकर ओटीपी प्राप्त कर रुपये ठगी करना, गूगल पर विभिन्न प्रकार का वॉलेट, बैंक के फर्जी कस्टमर केयर नंबर विज्ञापन देकर लोगों से सहायता के नाम पर ठगी करना, टीम वियुवर क्विक स्पोर्ट जैसे रिमोट एक्सेस ऐप इंस्टाल करवाकर, गूगल पर मोबाइल नंबर का फर्स्ट फोर डिजिट सर्च कर और अपने मन से सिक्स डिजिट एड कर साइबर ठगी की जाती है.
साइबर ठगों ने निकाला नया तरीका
पुराने हथकंडों को अपनाने के बजाय साइबर ठगों की ओर से अब एक नई तरकीब निकाल ली है और पीड़ित को साइबर ठगी के लोग उनके खाते में पैसे भेज देने की बात कह दोबारा साइबर ठगी का शिकार बना लेते हैं. मामले में देवघर पुलिस कप्तान अश्विनी सिन्हा बताते हैं कि साइबर ठगों की ओर से अब एक नया तकनीक निकाला गया है. जैसे upi wallets से ठगी किये गए पीड़ित को दोबारा उनके खाते में वापस करने के नाम पर पीड़ित के रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर के साथ @ के साथ word add कर एक नया virtual private account (vpa) create (e.g-123456789@icici) कर उसे एक फर्जी account के साथ link कर लेते है. और पीड़ित को payment wallets (phonepe, bhim upi) में to contact में जाकर upi pin को login करने को बोलते है और दोबारा ठगी कर लेते है.