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चतरा के जोलबीघा गांव के ग्रामीण उतरे सड़क पर, कहा- सड़क नहीं तो वोट नहीं

चतरा के प्रतापपुर प्रखंड के जोलबीघा गांव के ग्रामीणों ने इस चुनाव में वोट नहीं देने का फैसला लिया है. यह फैसला उन्होंने इसलिए लिया है क्योंकि यहां के ग्रामीण आज भी सड़क जैसी मूलभूत सुविधा तक से वंचित हैं.

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Published : Nov 4, 2019, 4:48 PM IST

सड़क की हालत

चतरा: झारखंड में विधानसभा चुनाव का शंखनाद हो चुका है. चुनाव आयोग ने चुनाव की तिथियों की घोषणा कर दी है. लोकतंत्र के इस महापर्व की तैयारी में क्या नेता, क्या आम लोग सभी जुट गए हैं, लेकिन इन सबके बीच चतरा के प्रतापपुर प्रखंड के जोलबीघा गांव के ग्रामीणों ने इस चुनाव के बहिष्कार का फैसला लिया है. ग्रामीणों ने सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया है कि इस चुनाव में वे वोट नहीं देंगे.

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क्यों लिया वोट नहीं देने का फैसला
ग्रामीणों ने इस चुनाव में वोट नहीं देने का फैसला अपनी मर्जी से नहीं बल्कि मजबूरी में लिया है. दरअसल, इस बिहार-झारखंड सीमा पर स्थित जोलबीघा और बरही समेत दर्जनों गांव आजादी के दशक बीत जाने के बाद भी आज मूलभूत सुविधा सड़क तक से वंचित हैं. यहां के ग्रामीण लगातार गांव में सड़क निर्माण की मांग को लेकर जनप्रतिनिधियों-अधिकारियों का दरवाजा खटखटाते रहे हैं. बावजूद इसके आजतक उनकी समस्याओं का निराकरण करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया. ऐसे में वे सरकारी तंत्र से ही खफा हो चुके हैं और विकास नहीं के मुद्दे पर उन्होंने वोट बहिष्कार का निर्णय लिया है. इसके साथ ही वोट मांगने गांव आने वाले नेताओं के गांव में प्रवेश पर रोक लगाने की बात भी कही है.

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सड़क की क्या है हालत
सड़क की हालत ऐसी है कि इस सड़क से पैदल गुजरने वाले राहगीर भी परेशान हो जाए. जरा सी बारिश में यह सड़क आने-जाने लायक ही नहीं रह जाती. यह सड़क पूरी तरह से गड्ढों और मिट्टी के खाई में बदल चुका है. मोटरसाइकिल से आने वाले लोगों को इस सड़क को पार करने में घंटों की मशक्कत करनी पड़ती है. सबसे बड़ी बात यह है कि इस सड़क की दुर्दशा के कारण गांव में एंबुलेंस तक नहीं आ पाती. न ही किसी मरीज या प्रसूति महिला को हॉस्पीटल तक ले जाना ही संभव हो पाता है. सड़क की इस हालत के कारण कई बार डोली और खाट में ही लोगों को ले जाना पड़ता है. ऐसे में कई बार लोगों को अपनी जान से हाथ भी धोना पड़ा है.

सरकारें आती-जाती रही लेकिन नहीं बदली सड़क की किस्मत
ग्रामीणों का आरोप है कि जोलबीघा के सड़क की हालत वर्षों से यही है, सरकारें आती-जाती रही लेकिन इस सड़क कि किस्मत कभी नहीं बदली. वे यह भी कहते हैं कि ऐसा नहीं है कि किसी नेता ने इस ओर का रूख नहीं किया, नेता आए, ग्रामीणों से उनका कीमती वोट भी मांगा लेकिन उन्हें दिया तो सिर्फ आश्वासन. नेताओं ने बस वोट मांगने के लिए उनके गांव का रूख किया और फिर गांव को भूल गए.

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नेता चाहे तो बहा दे विकास की गंगा
यही कारण है कि ग्रामीण खुद को ठगा महसूस करने लगे हैं. उनका मानना है कि एक नेता 5 साल के लिए सरकार में आता और इस 5 साल में अगर वह चाहे तो सड़क क्या गांव की तकदीर बदलकर रख दे. लेकिन जब गांव में एक सड़क को नहीं बनाया जा सका तो फिर सरकार का चयन ही क्यों किया जाए. यही कारण है कि ग्रामीणों ने इस चुनाव में वोट नहीं देने का फैसला लिया है.

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