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ग्रामीणों ने श्रमदान कर बनाई सड़क, गांव में नेताओ की एंट्री पर लगाई रोक

चतरा का एक गांव प्रशासनिक उपेक्षा और अधिकारियों की उदासीनता झेल रहा है. यहां सड़क की जर्जर स्थिति होने से ग्रामीणों को आवागमन में परेशानी झेलनी पड़ रही थी. जिसके बाद ग्रामीणों ने सड़क निर्माण का जिम्मा खुद ही उठाया. वहीं,  ग्रामीणों ने वोट बहिष्कार का फैसला लिया.

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Published : Aug 24, 2019, 9:27 AM IST

Updated : Aug 24, 2019, 9:55 AM IST

सड़क बनाते ग्रामीण

चतरा: जिले के घोर नक्सल प्रभावित कुंदा प्रखंड मुख्यालय से मजह 3 किलोमीटर की दूर पर स्थित मोहनपुर गांव आज भी विकास की बाट जोह रहा है. ऐसे में ग्रामीण अब वोट बहिष्कार का मन बना चुके हैं. सरकारी उदासीनता से नाराज ग्रामीणों ने श्रमदान कर न सिर्फ सड़क बनाया बल्कि जनप्रतिनिधियों के लिए गांव में नो एंट्री की घोषणा कर दी.

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नक्सल प्रभावित कुंदा प्रखंड के मोहनपुर गांव की आबादी लगभग 400 है. कई बार पंचायत स्तरीय ग्राम सभा में इस गांव को मुख्यालय से जोड़ने को लेकर पीसीसी सड़क बनाने का प्रस्ताव पारित किया गया. लेकिन प्रशासनिक उपेक्षा और अधिकारियों के लापरवाही के कारण सड़क आज तक नहीं बनी. ऐसे हालत में बरसात के बाद मोहनपुर गांव के महिला और पुरुष हर साल श्रमदान कर सड़क की मरम्मत करते हैं. इस काम के लिए बरसात के मौसम आते ही लोगों को सड़क बनाने की चिंता सताने लगती है. उक्त सड़क से मोहनपुर, कुसुम्भा, भोक्ताडीह और धरती मांडर गांव के लोगों का आवागमन होता है.

ग्रामीणों का आरोप है कि नेता चुनाव के दौरान सिर्फ वोट लेने आते हैं. उसके बाद ग्रामीणों और उनकी समस्याओं को भूल जाते हैं. सरकार गांव के समुचित विकास के भले ही लाख दावे कर ले लेकिन हकीकत उसके वादों को आज भी मुंह चिढ़ाते नजर आती है. आजादी के 73 साल बीतने के बाद भी मोहनपुर जैसे दर्जनों गांव का हाल बेहाल है. यह गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. गांव के सरकार बनने के बाद गांव के विकास को लेकर उम्मीदें जगी थी. लेकिन पंचायत चुनाव के 9 साल गुजर जाने के बाद भी गांव की सड़क की स्थिति नहीं बदली. वाहनों को गांव तक पहुंचने के लिए सड़क नहीं है.

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ग्रामीणों ने बताया कि विधानसभा चुनाव से पहले गांव के सड़क का निर्माण नहीं कराया जाता है. तो ग्रामीण सामूहिक रूप से वोट का बहिष्कार करेंगे. जिससे हर बार चुनाव में नेता वोट के समय सड़क बनाने का आश्वासन देते हैं. लेकिन चुनाव जीतते ही भूल जाते हैं. ग्रामीणों ने बताया कि सड़क नहीं रहने से प्रखंड मुख्यालय आने-जाने में ग्रामीणों को न सिर्फ परेशानी होती है. बल्कि दर्जनों गांव टापू में तब्दील होकर रह जाते हैं. बच्चों को शिक्षा के लिए कुंदा जाना पड़ता है. 3 किलोमीटर पैदल चलकर बच्चे विद्यालय पहुंचते हैं. ग्रामीणों ने कहा कि सड़क नहीं बनने की स्थिति में इस बार गांव में किसी भी नेता को नहीं घुसने दिया जाएगा. अगर वो जबरदस्ती गांव में घुसने का प्रयास करेंगे, तो उनका जूता का माला पहनाकर स्वागत किया जाएगा.

Last Updated : Aug 24, 2019, 9:55 AM IST

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