चतरा: महात्मा गांधी के सच्चे अनुयायी झारखंड के टाना भगत स्वच्छता के पुजारी ही नहीं, बल्कि रोजाना तिरंगे की पूजा भी करते हैं और लोगों को देशभक्ति की पाठ पढ़ा रहे हैं. टाना भगतों की देशभक्ति का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि तिरंगे की पूजा किए बिना वे नहीं अन्न, जल ग्रहण करते हैं और ना हीं कोई काम करते हैं.
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चतरा जिला मुख्यालय से करीब 80 किलोमीटर दूर स्थित है सरैया गांव. इस गांव में दर्जनों की संख्या में टाना भगत परिवार रहते हैं. गांव के टाना भगत सालों से सुबह-शाम तिरंगे की पूजा करने के बाद ही भोजन करते हैं. इतना ही नहीं, इन टाना भगतों का पहनावा भी गांधीवादी ही है.
सिर पर गांधी टोपी, बदन पर सफेद खादी कुर्ता, हाथों में तिरंगा, शंख, घंटी और देशभक्ति के प्रति अनंत प्रेम रखने वाले टाना भगतों की नींद खुलती तो धरती माता को प्रणाम करने से दिनचर्या शुरू करते हैं. रोजाना अपने घर के आंगन में बने पूजा धाम में तिरंगे की पूजा करने के बाद शुद्ध शाकाहारी भोजन करते हैं. आजादी की लड़ाई में अपना सर्वस्व न्योछावर करने के सात दशक बाद भी सत्य और अहिंसा के पुजारी टाना भगत महात्मा गांधी के बताए मार्ग पर ही चलते आ रहे हैं. सरैया गांव के रहने वाले बीगल टाना भगत कहते हैं कि तिरंगा ना सिर्फ उनकी आन, बान और शान है, बलिक उनका धर्म भी है. दूसरी कक्षा तक पढ़े शिवचरण टाना भगत कहते हैं कि तिरंगे की पूजा से ही दिन की शुरुआत होती है.
आजादी के 75 साल बाद भी टाना भगत समाज मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. पीने का पानी, बिजली, सड़क आदि समस्याओं से जुझने के लिए मजबूर हैं. टाना भगतों ने बताया कि सरकार अगर उनकी सुध लेती तो उनके जीवन स्तर में कुछ सुधार होता. उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों ने देश की आजादी के लिए अपना सारा न्योछावर कर दिया था.