चतरा: चतरा के सिमरिया रेफरल अस्पताल में ईटीवी भारत की टीम ने एक पड़ताल की. इस दौरान अस्पताल से बड़ी लापरवाही उजागर हुई है. अस्पताल परिसर के एक जर्जर भवन में लोगों की सेहत बनाने वाली लाखों की दवाईयां और चिकित्सा सामग्री बिना उपयोग के ही खराब पड़ी हुई है. इन दवाइयों की अंतिम तिथि 2011-12 है.
दवा के लिए भटकते हैं मरीज
इन दवाईयों में एंपीसिलीन इंजेक्शन, डीडीटी पाउडर, एसके नीडाजोल टेबलेट, सिप्रोफ्लोक्सासिन टेबलेट, डेप्रोटॉन टेबलेट, लोटस- 50 टेबलेट सहित विभिन्न प्रकार की दवाइयां शामिल हैं. सबसे बड़ी बात तो यह है कि जब मरीज इलाज कराने सरकारी अस्पतालों में पहुंचते हैं तो, उन्हें दवा के लिए बाहर के प्राइवेट दुकानों में भेज दिया जाता है. इस वजह से अस्पतालों में हर साल इसी तरह लाखों की दवा फेंक दी जाती है. राज्य शासन सरकारी अस्पतालों में हर साल करोड़ों रुपए की दवा उपलब्ध कराती है. ये दवाइयां जरूरतमंद मरीजों को मुफ्त में देनी होती है, लेकिन हकीकत यह है कि मरीज दवा के लिए भटकते रहते हैं. उन्हें बाहर की दवाइयां लिखी जाती हैं और सरकारी दवाइयों को कचरे में फेंक दिया जाता है.