चतरा: एशिया के सबसे बड़े कोल परियोजनाओं में से एक मगध और आम्रपाली से कोयले कि ढुलाई में लगी वाहने लोगों की खून से अपनी प्यास बुझाने में लगी है. स्थिति ये है कि अपने कोयले से देश को रोशन करने वाले यहां के मासूमों की खून से सड़कें लाल हो रही है.
कोल वाहनों के आतंक का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पिछले चार वर्षों में इस इलाके में करीब पांच सौ लोगों की जान दुर्घटना के चपेट में आने से हो चुकी है. बावजूद इसके न तो जिला प्रशासन का ध्यान इस ओर जा रहा है और न ही सरकार की नींद बेगुनाहों के मौत के बाद भी खुली. ऐसे में अब ये सड़के न सिर्फ लोगों के लिए मौत का डगर साबित होने लगा है बल्कि कोल वाहनों ने भी यमराज का रूप धारण कर लिया है. जिसने सिमरिया-टंडवा व रांची-हजारीबाग मुख्य पथ पर मौत बनकर तांडव मचा रखा है.
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जिले के टंडवा प्रखंड में संचालित मगध और आम्रपाली समेत अन्य कोल परियोजनाओं से कोयले की ढुलाई सीसीएल व्यावसायिक सड़क के बजाय सार्वजनिक सड़क से कर रही है. पिछले पांच वर्षों में न तो सीसीएल ने ट्रांसपोर्टिंग सड़क बनवाई है और न ही बाईपास का निर्माण कराया है. ऐसे में यहां से कोयले की ढुलाई एनएच-100 और 99 के अलावा पीडब्ल्यूडी की सड़कों से होती है. जिससे दिनभर कोयला लदे भारी-भरकम वाहन सिमरिया, बगरा, जबड़ा, धनगड्डा, मिश्रौल, डाड़ी, बिरहू, तलसा, पत्थलगड्डा, गिद्धौर, बलबल, चतरा और अन्य भीड़-भाड़ व व्यस्ततम इलाकों से होकर गुजरती है.
लगातार भारी वहनो के गुजरने से आए दिन सड़क हादसे हो रहे हैं जिसमें लोग अपनी जान गंवा रहे हैं. बावजूद सीसीएल निजी ट्रांसपोर्टिंग सड़क का निर्माण कराने के बजाय पीड़ित परिवारों के बीच चंद रुपये मुआवजे के रूप में बांट कर लोगों का मुंह बंद कराने में जुटी है. तंग आकर स्थानीय लोग लंबे समय से आंदोलन कर रहे हैं, बावजूद किसी के कानों पर जू तक नहीं रेंग रहा है.