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चतरा के इस सरकारी स्कूल की बात है निराली, यहां की दीवारें भी पढ़ाती हैं - झारखंड न्यूज

चतरा के एक सरकारी स्कूल में निजी स्कूल की तर्ज पर सारी सुविधाएं उपलब्ध हैं. यहां की दीवारों से लेकर विद्यालय के एक-एक भवनों को शिक्षाप्रद बनाया गया है. यहां के शिक्षकों ने अपने योगदान से इसे न केवल शिक्षा का मंदिर बनाया, बल्कि अन्य सरकारी स्कूलों के सामने एक उदाहरण बना कर पेश भी किया है.

सरकारी स्कूल की शानदार तस्वीर

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Published : Jul 26, 2019, 8:02 PM IST

चतरा: जिले में अब सरकारी स्कूलों की हालत बदलती नजर आ रही है. घोर नक्सल प्रभावित गिद्धौर प्रखंड में पड़ने वाला सरकारी राजकीयकृत मध्य विद्यालय द्वारी, कई प्राइवेट स्कूलों को मात दे रहा है.

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सरकारी स्कूलों की परिभाषा बदलती ये स्कूल

झारखंड के सबसे पिछड़े चतरा के गिद्धौर के द्वारी गांव के सरकारी स्कूल को देखकर आप हैरान हो जाएंगे. इस स्कूल की हर चीज निजी स्कूलों को मात दे रही है. वहीं, सरकारी स्कूलों को लेकर नकारात्मक सोच को भी खत्म कर रही है.

यहां की हर दीवार है शिक्षाप्रद

स्कूल के बच्चों में इतिहास के प्रति रूचि पैदा करने के लिए भवनों के नाम महापुरुषों के नाम पर रखे गए हैं. कहीं, सुभाष भवन है, कहीं गांधी भवन है, तो कहीं चाणक्य भवन. हर कमरों का नाम महापुरुषों के नाम पर रखा गया है. अब देखिए इस स्कूल में स्वच्छता की तस्वीरें, किसी निजी स्कूल में शौचालय और यूरिनल इतना शानदार नहीं मिलेगा. इसके रसोई घर में बच्चों के लिए स्वादिष्ट खाना पकता है. यहां पर सफाई के लिए खास इंतजाम साफ हैं. स्कूल की हर दीवार कुछ संदेश देती है. हर दीवार पर नजर डालते ही कुछ न कुछ सीखने को मिलती है. कहीं प्रतीक चिन्हों का मतलब दर्ज है. तो कही दीवारों पर गुरुजनों की तस्वीरें लगा गुरु-शिष्य परंपरा का सम्मान दिया जा रहा हैं.

शिक्षकों ने बदली इसकी तस्वीर

स्कूल की बाहरी दीवारें जितनी खूबसूरत और शिक्षाप्रद हैं. क्लास रूम में भी उसी तरह के इंतजाम है. रंगीन बेंच पर स्कूल यूनिफॉर्म में पढ़ाई करते देश के भविष्य को देख सुकून का अहसास होता है. इस स्कूल में 586 बच्चे हैं. 13 क्लास रूम, एक हॉल और एक कार्यालय है. लड़के और लड़कियों के लिए अलग-अलग शौचालय. इतना ही नहीं बच्चों में जल संरक्षण के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए किचन भी तैयार किया गया है.

चतरा जिले का गिद्धौर उत्क्रमित मध्य विद्यालय 1973 में बना. साल 2007 में इसे अपग्रेड किया गया था. इस विद्यालय के कर्मचारी ड्रेस कोड में विद्यालय पहुंचते हैं. स्कूल के रख-रखाव के लिए सरकार द्वारा प्रति वर्ष 75 हजार रूपए दिया जाता है. स्कूल के सभी शिक्षक अपनी आय में से थोड़े बहुत पैसे मिलाकर विद्यालय परिसर की तस्वीर ही बदल डाली है. इस विधालय में कमी है, तो सिर्फ पानी और चाहरदीवारी की. बाकी इस स्कूल की तस्वीर और विधि व्यवस्था देखने के बाद इसे झारखंड के सबसे शानदार सरकारी स्कूल का खिताब दिया जा सकता है.

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डीसी ने स्वतंत्रता दिवस पर शिक्षकों पुरस्कृत किए जाने की घोषणा

इस संबंध में ईटीवी भारत की टीम ने जब डीसी को अवगत कराया, तो पहले उन्हें यकीन ही नहीं हुआ, कि उनके क्षेत्र में इतना शानदार सरकारी स्कूल संचालित है. डीसी ने शानदार स्कूल की खोज-खबर ली. जिसके बाद 15 अगस्त यानी स्वतंत्रता दिवस पर स्कूल के प्रिंसिपल समेत सभी शिक्षकों को पुरस्कृत करने की घोषणा कर डाली. इतना ही नहीं ईटीवी भारत से बात करते हुए डीसी ने जिले में संचालित सभी सरकारी विद्यालयों में इस तरह की सुविधा बहाल करने की भी बात कह डाली.

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