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सिर्फ पेपर पर ही चकाचक है रांची? देखिए हकीकत तो है 'नरक' जैसी

राजधानी रांची की हालत नरक जैसी है. पिछले एक महीने से सफाई नहीं हुई है, लेकिन फिर भी सफाई के लिए अवार्ड मिल रहा है.

देखिए स्पेशल रिपोर्ट

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Published : Feb 25, 2019, 8:20 PM IST

रांचीः स्वच्छ सर्वेक्षण 2019 में झारखंड के पांच शहरों को उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मान मिलना है. जिसमें राजधानी रांची भी शामिल है. लेकिन राजधानी की स्वच्छता को लेकर जो स्थिति है. वह कुछ और ही हकीकत बयां कर रही है.

देखिए स्पेशल रिपोर्ट

दरअसल राजधानी रांची में स्वच्छता अभियान की दयनीय स्थिति बनी हुई है. हाल की बात करें तो पिछले 1 महीने से शहर के 53 वार्डों से कूड़े का उठाव नहीं हो रहा है. न ही सही तरीके से साफ-सफाई. क्योंकि सफाई का कार्य कर रही कंपनी एस्सेल इंफ्रा बकाया रकम को लेकर काम ठप किए हुए है. फिर भी जनवरी माह में स्वच्छ सर्वेक्षण 2019 के लिए हुए सर्वे के आधार पर रांची को अवार्ड के लिए चुना जाना हैरत की बात है. अपर नगर आयुक्त गिरजा शंकर प्रसाद ने इस बाबत कहा है कि फिलहाल यह साफ नहीं हुआ है कि किस कैटेगरी के लिए रांची शहर को चुना गया है.

जबकि राजधानी के लोगों समेत वार्ड पार्षदों की भी हमेशा से शिकायत रही है कि साफ सफाई का काम सही तरीके से नहीं हो पा रहा है. इसके लिए लगातार सफाई का कार्य कर रही कंपनी को दोषी ठहराया जा रहा है. तो वहीं स्वच्छ सर्वेक्षण 2019 में अवार्ड मिलने को लेकर स्थानीय लोगों का कहना है कि सफाई का काम सुचारू रूप से नहीं होता है. ऐसे में रांची का नंबर वन होना महज एक दिखावा है।

बता दें कि आगामी 6 मार्च को दिल्ली के विज्ञान भवन में झारखंड के 5 शहरों को साफ सफाई, सॉलि़ड वेस्ट मैनेजमेंट, शहरों में खुले में शौच से मुक्त करने, डोर टू डोर कचरा का उठाव सुनिश्चित करने, सॉलिड और लिक्विड कचरा के एग्रीगेशन और डिस्पोजल समेत लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करने के एवज में अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा। जिसमे रांची, फुसरो, गुमला, चतरा और चक्रधरपुर को सम्मानित किया जाएगा.

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