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सुधाकरण और नीलिमा ने बड़े नक्सलियों को दिखाया सेफ रास्ता, दूसरे राज्यों में भी कर सकते हैं सरेंडर - सरेंडर

सुधाकरण ने बड़े नक्सलियों को सरेंडर का सेफ रास्ता दिखाया है. सुधाकरण के दिखाए गए रास्ते पर झारखंड के कई बड़े नक्सली जा सकते हैं. झारखंड के कुछ बड़े नक्सलियों ने बंगाल पुलिस से संपर्क साधा है, ऐसी जानकारी मिल रही है कि भविष्य में ऐसा और देखने को मिल सकता है. झारखंड के इनामी नक्सली बंगाल और तेलंगाना जैसे राज्यों में आत्मसमर्पण करते हुए दिखे तो इसमें कोई हैरानी नहीं होनी चाहिए.

सरेंडर से पहले और बाद की तस्वीर

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Published : Feb 13, 2019, 9:14 PM IST

Updated : Feb 13, 2019, 10:42 PM IST

रांची: झारखंड के सबसे बड़े नक्सली सुधाकरण और उसकी पत्नी नीलिमा के तेलंगाना में आत्मसमर्पण के बाद आत्मसमर्पण की इच्छा रखने वाले दूसरे नक्सलियों को एक नया रास्ता मिल गया है. यह वो रास्ता है जिसमें आत्मसमर्पण भी कर दें इनाम की राशि भी मिल जाए और जेल भी नहीं जाना पड़े.

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दरअसल, झारखंड सरकार के द्वारा जो नक्सलियों के लिए आत्मसमर्पण नीति बनाई गई है उसमें आत्मसमर्पण करने के बाद आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली को जेल जाना पड़ता है, लेकिन बंगाल, उड़ीसा, तेलंगाना जैसे राज्यों में आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को जेल नहीं भेजा जाता है.

अपनी-अपनी च्वाइस
सुधाकरण झारखंड का सबसे बड़ा नक्सली नेता था. उसके ऊपर सरकार ने एक करोड़ रुपए का इनाम घोषित कर रखा था. वहीं, उसकी पत्नी पर 25 लाख का इनाम था. बुढ़ापे की तरफ बढ़ रहे इस दंपति ने आत्मसमर्पण के लिए अपने राज्य तेलंगाना को चुना. गुपचुप तरीके से 3 फरवरी को ही वे झारखंड के घने जंगलों से निकल कर बड़े ही गुप्त तरीके से हैदराबाद पहुंच गए. वहां, जाकर पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. हालांकि आधिकारिक तौर पर इस नक्सल दंपत्ति ने 13 फरवरी को पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया. झारखंड पुलिस के आईजी अभियान आशीष बत्रा के अनुसार किसी भी नक्सली के द्वारा आत्मसमर्पण करना उनका अपना चॉइस है, ऐसे में वे किसी भी राज्य में आत्मसमर्पण कर सकते हैं. पुलिस का तो मकसद यही है कि मुख्यधारा में लौटे.

पाल दंपत्ति ने किया था बंगाल में आत्मसमर्पण
सुधाकरण दंपत्ति के आत्मसमर्पण से पहले कुख्यात नक्सली दंपत्ति रंजीत पाल और झरना ने पश्चिम बंगाल में जाकर आत्मसमर्पण कर दिया था. दोनों पति-पत्नी के ऊपर झारखंड पुलिस ने 15 लाख रुपए का इनाम भी घोषित कर रखा था. झारखंड मुक्ति मोर्चा के तत्कालीन सांसद सुनील महतो की हत्या में यह दोनों पति पत्नी मुख्य साजिशकर्ता हैं. सुनील महतो हत्याकांड की सीबीआई जांच चल रही है, लेकिन सीबीआई के लाख कोशिश करने के बावजूद अभी तक वो पश्चिम बंगाल में जाकर रंजीत पाल और झरना से पूछताछ नहीं कर पाई. बंगाल की आत्मसमर्पण नीति के अनुसार वहां आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों से किसी भी तरह की पूछताछ नहीं की जा सकती है.

अभियान का दबदबा
आईजी आशीष बत्रा के अनुसार सुधाकरण के खिलाफ झारखंड में बड़े पैमाने पर पुलिसिया ऑपरेशन चलाया जा रहा था. एनकाउंटर में कई बार वह बाल-बाल बचा था. उसे यह महसूस हो गया था कि अगर वह झारखंड में रहता है तो एनकाउंटर में मारा जाएगा. यही वजह है कि उसने आत्मसमर्पण के लिए तेलंगाना को चुना. हालांकि उसके मन में क्या है यह सिर्फ सुधाकरण ही बता सकता है.

Last Updated : Feb 13, 2019, 10:42 PM IST

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