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झारखंड की यह फैमिली है बेहद खास, पिता-पुत्र रहे हैं सीएम, देवर-भाभी हैं विधायक

झारखंड की राजनीतिक इबारत बिना एक परिवार के पूरी नहीं हो सकती है. दूसरे शब्दों में कहें तो प्रदेश की राजनीति इस परिवार के चोरों तरफ घूमती है. यह परिवार है झारखंड मुक्ति मोर्चा के सुप्रीमो शिबू सोरेन की फैमिली. यह वही परिवार है जहां पिता और पुत्र दोनों राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हैं और दोनों राज्यसभा के सदस्य भी रह चुके हैं.

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Published : Mar 23, 2019, 3:12 PM IST

Updated : Mar 23, 2019, 4:06 PM IST

स्पेशल स्टोरी.

रांची: प्रदेश की राजनीतिक इबारत बिना एक परिवार के पूरी नहीं हो सकती है. दूसरे शब्दों में कहें तो प्रदेश की राजनीति इस परिवार के चोरों तरफ घूमती है. यह परिवार है झारखंड मुक्ति मोर्चा के सुप्रीमो शिबू सोरेन की फैमिली. यह वही परिवार है जहां पिता और पुत्र दोनों राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हैं और दोनों राज्यसभा के सदस्य भी रह चुके हैं.

स्पेशल स्टोरी.

ऐसा नहीं है कि इस परिवार को राजनीति विरासत में मिली है, जेएमएम सुप्रीमो शिबू सोरेन की संघर्ष का नतीजा है जिसे झारखंड मुक्ति मोर्चा का नाम दिया गया है. 11 जनवरी 1944 को रामगढ़ जिले के नेमरा में जन्मे शिबू सोरेन ने अपनी राजनीतिक लड़ाई महाजनी प्रथा और तत्कालीन सामाजिक ढांचे के खिलाफ शुरू की और 1991 से लेकर अब तक झारखंड मुक्ति मोर्चा के निर्विरोध सुप्रीमो बने हुए हैं.1973 में बने झारखंड मुक्ति मोर्चा एक क्षेत्रीय दल है जिसकी पहुंच ओडिशा, पश्चिम बंगाल और बिहार में भी है. हालांकि, बिहार में इस दल की मान्यता रद्द कर दी गयी है लेकिन बिहार विधानसभा में झामुमो का एक विधायक भी था.1973 में झामुमो के गठन के कुछ समय के बाद विनोद बिहारी महतो इसके अध्यक्ष बने थे और शिबू सोरेन जनरल सेक्रेटरी हुए. बाद में झामुमो नेता निर्मल महतो के मौत के बाद शिबू सोरेन पार्टी के सुप्रीमो बने और अब तक हैं.

झारखंड आंदोलन में भी सोरेन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. राजनीतिक पारी की शुरुआत उन्होंने 1977 में की. उस समय उन्होंने अपना पहला लोकसभा चुनाव लड़ा लेकिन हार गए. उनकी लोकसभा में एंट्री 1980 में हुई उसके बाद दूसरी बार 1989 में, तीसरी बार 1991 में, चौथी बार 1996 में, पांचवी बार दुमका लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव के बाद, छठी बार 2004 में सातवीं बार 2009 में और आठवीं बार 2014 में सांसद चुने गए हैं.

इस दौरान 2002 में सोरेन थोड़े समय के लिए राज्यसभा के सदस्य भी रहे. इतना ही नहीं 2004 में वह तत्कालीन मनमोहन सरकार में कोयला मंत्री भी बने. राज्य के तीसरे मुख्यमंत्री के रूप में शिबू सोरेन ने पहली बार 2 मार्च 2005 को पद संभाला और 10 दिनों के बाद ही रिजाइन कर दिया. उन्हें दोबारा मौका 2008 में मिला जब वह 4 महीने 22 दिन के लिए मुख्यमंत्री रहे. तीसरा मौका उन्हें 2009 में मिला जब 30 दिसंबर 2009 से 31 मई 2010 तक वह मुख्यमंत्री बने.

बेटा-बहू हैं विधायक, एक बेटा लड़ चुका है रास सदस्य का चुनाव
शिबू सोरेन की शादी रूपी किस्कु से हुई जो बाद में रूपी सोरेन हुई. उन्होने भी दुमका से एक बार लोकसभा चुनाव लड़ा लेकिन हार गई. वहीं सोरेन के तीन पुत्र दुर्गा, हेमंत और बसंत और एक बेटी अंजलि हैं. दुर्गा सोरेन दुमका जिला के जामा विधानसभा इलाके से विधायक थे. बाद में उनकी मृत्यु हो गई जिसके बाद उनकी पत्नी सीता सोरेन वहां से विधायक हैं. वहीं, दूसरे पुत्र हेमंत सोरेन दुमका से विधायक रह चुके हैं और फिलहाल बरहेट विधानसभा इलाके से विधायक हैं. साथ ही झारखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी हैं. जबकि तीसरे पुत्र बसंत सोरेन पिछली बार हुए राज्यसभा चुनाव में पार्टी के उम्मीदवार थे. हालांकि उन्हें हार का सामना करना पड़ा, आगामी लोकसभा चुनाव में बेटी अंजलि को ओडिशा के किसी लोकसभा इलाके से उम्मीदवार बनाये जाने को लेकर बात हो रही है.

सीएम रह चुके हैं हेमंत
झारखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन राज्य के पांचवें मुख्यमंत्री रहे हैं. बीजेपी के साथ तालमेल में चलने वाली अर्जुन मुंडा के नेतृत्व में बनी सरकार में वह उपमुख्यमंत्री भी रहे.1975 में रामगढ़ जिले में जन्मे हेमंत जून 2009 में राज्यसभा के सांसद चुने गए और 4 जनवरी 2010 तक राज्य सभा सदस्य भी रहे हैं. बाद में दुमका से विधायक भी हुए 13 जुलाई 2013 को वह झारखंड के मुख्यमंत्री बने और राज्य के सबसे युवा मुख्यमंत्री बनने का अवसर भी उन्हें मिला.

कई राजनेताओं की प्राथमिक राजनीतिक पाठशाला रहा है JMM
झारखंड मुक्ति मोर्चा प्रदेश के कई शीर्ष नेताओं के लिए राजनीति के प्राथमिक पाठशाला भी रहा है. सोरेन परिवार के सदस्यों के अलावा बीजेपी के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने भी अपना पोलिटिकल कैरियर जेएमएम से शुरू किया था. 1995 में वह पहली बार एकीकृत बिहार में झामुमो के विधायक चुनकर बिहार विधान सभा तक गए थे. वहीं आजसू, कांग्रेस और जदयू में कई ऐसे नेता हैं जिन्होंने राजनीति का ककहरा झामुमो में रहकर ही सीखा है.

Last Updated : Mar 23, 2019, 4:06 PM IST

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