रांची: विपक्ष के महागठबंधन की पेंच सुलझती नजर नहीं आ रही है. पहले दिल्ली से शीट शेयरिंग का मामला झारखंड शिफ्ट हुआ. लेकिन अब फिर से दिल्ली शिफ्ट हो गया है. ऐसे में अब यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि झारखंड विकास मोर्चा महागठबंधन से अलग राह भी अपना सकती है.
हालांकि जेवीएम ने इससे साफ इनकार किया है. लेकिन सत्तारूढ़ बीजेपी ने इसी ओर इशारा किया है. झारखंड में विपक्ष के महागठबंधन को लेकर हो रहे खींचातानी को देखते हुए अब कयास लगाए जा रहे हैं कि झारखंड विकास मोर्चा इस महागठबंधन से अलग राह अपनाने की तैयारी में है.
विपक्षी महागठबंधन की प्रमुख कांग्रेस पार्टी की तरफ से जेवीएम सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी को मनाने का दौर जारी है. लेकिन जिस तरह से बाबूलाल मरांडी सीट को लेकर अड़े हुए हैं. उससे यही लगता है कि वो महागठबंधन से अलग राह भी अपना सकते हैं.
प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता शमशेर आलम ने जेवीएम के अलग राह अपनाने के किसी भी संभावना से इनकार करते हुए कहा है कि हर हाल में महागठबंधन बनेगा और उसी के तहत चुनाव लड़े जाएंगे. सीट शेयरिंग को लेकर जो भी समस्या आ रही है. उसे जल्द सुलझा लिया जाएगा.
वहीं झारखंड विकास मोर्चा के मीडिया प्रभारी तोहिद आलम ने भी जेवीएम के विपक्षी महागठबंधन से अलग राह की सवाल पर कहा है कि ऐसी कोई भी संभावना नहीं है. हर हाल में जेवीएम महागठबंधन के साथ ही चुनाव लड़ेगा. उन्होंने भी कहा है कि बातचीत का दौर जारी है और सीटों के बंटवारे को लेकर मामला जल्द सुलझ जाएगा.
जबकि लगातार विपक्षी महागठबंधन की कवायद को गंभीरता से देख रही सत्तारूढ़ बीजेपी ने इशारा किया है कि बाबूलाल मरांडी अलग राह अपना सकते हैं. प्रदेश बीजेपी प्रवक्ता दीनदयाल बर्णवाल ने कहा है कि जेवीएम का झारखंड में जनाधार खत्म हो गया है और इसी का एहसास कांग्रेस दिला रही है.
उन्होंने कहा कि यही वजह है कि जेवीएम सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी कांग्रेस पर दबाव की राजनीति कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि महागठबंधन में जाने के बाद भी बीजेपी पर कोई असर नहीं पड़ेगा. बल्कि आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी 14 सीट पर जीत हासिल करेगी.