रांची: राजधानी के ऐतिहासिक रथ यात्रा के साथ मेले की भी शुरूआत हो चुकी है. सुबह से ही मेला परिसर में श्रद्धालुओं की भीड़ जुटने लगी है, लोग भगवान जगन्नाथ के दर्शन को लेकर मंदिर परिसर में जमा होने लगे. रथ खींचने को लेकर श्रद्धालुओं में उत्साह देखा जा रहा है. इसमें बड़ी संख्या में महिला-पुरुष और युवक-युवतियां शामिल हैं.
रथा यात्रा को लेकर प्रशासनिक तैयारी पूरी कर ली गई है. मेले में सुरक्षा चाक-चौबंद है. वहीं, मेले की हर गतिविधि पर नजर रखने को लेकर पूरे मेला परिसर के 60 प्वाइंट पर हाई रिजोल्यूशन कैमरे लगाए गए हैं, जिससे मेले की हर एक गतिविधि पर नजर रखी जा रही है. बता दें कि पूरा मेला परिसर सज-धजकर तैयार है. मिठाई से लेकर खिलौने की दुकानें सजी है. वहीं पारंपरिक हथियार से लेकर जरुरत की हर चीजों की दुकानें सजी है.
ये भी पढे़ं-UN पहुंची सरायकेला मॉब लिंचिंग की आग, ओवैसी ने मोदी को घेरा
बता दें कि रांची का जगन्नाथपुर मंदिर पुरी की तरह ही रथ यात्रा के लिए प्रसिद्ध है. जगन्नाथपुर मंदिर के स्थापना 1691 में बड़कागढ़ में नागवंशी राजा ठाकुर एनीनाथ शाहदेव ने रांची में धुर्वा के पास भगवान जगन्नाथ मंदिर का निर्माण कराया था. ठाकुर एनीनाथ शाहदेव अपने नौकर के साथ पुरी गये थे. नौकर भगवान का भक्त बन गया और कई दिनों तक उनकी उपासना की. एक रात्रि वह भूख से व्याकुल हो उठा. मन ही मन प्रार्थना की कि भगवान भूख मिटाइये. उसी रात भगवान जगन्नाथ ने रूप बदल कर अपनी भोगवाली थाली में खाना लाकर उसे खिलाया. नौकर ने पूरी आपबीती ठाकुर साहब को सुनायी. उसी रात भगवान ने ठाकुर को स्वप्न में कहा कि यहां से लौटकर मेरे विग्रह की स्थापना कर पूजा-अर्चना करो. पुरी से लौटने के बाद एनीनाथ ने पुरी मंदिर की तर्ज पर रांची में मंदिर की स्थापना की.