रांचीः होली बुराई पर अच्छाई की जीत का त्योहार है. इस पर्व में जितना महत्व रंगों का है, उतना ही महत्व होलिका दहन का भी है. लेकिन लोग अपने इस परंपरा को भूलते जा रहे हैं. अपनी व्यस्त दिनचर्या के कारण होलिका दहन की परंपरा से लोग भागने लगे हैं. इसके पीछे की वजह क्या है, आइए जाने लोगों की राय.
होली विशेष: भूलने लगे हैं लोग अपनी परंपरा, जानिए क्या है लोगों की राय - good victory over evil
होलिका दहन मनाने की परंपरा सालों से चली आ रही है. लेकिन लोगों की भागदौड़ भरी जिंदगी के कारण लोग अब इस परंपरा से भागने लगे हैं.
आज की भाग-दौड़ भरी जिंदगी में लोग पर्व और त्योहार के महत्व को भूलते जा रहे हैं. उनमें जानकारी का अभाव है. जब इस बारे में हमारी टीम लोगों के बीच पहुंची तो लोगों ने अपनी-अपनी राय दी. कुछ लोगों ने कहा कि जागरूकता की कमी के कारण और जानकारी के अभाव में लोग होलिका दहन जैसी परंपरा नहीं मनाते हैं.
वहीं, शास्त्रों के अनुसार होली मनाने से एक दिन पहले आग जलाते हैं, उसकी पूजा करते हैं. इस अग्नि को बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक माना जाता है. होलिका दहन के कई महत्व हैं. होलिका दहन की तैयारी तो होली से 40 दिन पहले शुरू हो जाती है. जिसमें लोग अपने आसपास की सुखी टहनियों, सूखे पत्ते जमा करते हैं. फिर फाल्गुन पूर्णिमा की संध्या को अग्नि जलाई जाती है. मंत्रोच्चारण के साथ विधि-विधान से पूजा अर्चना होती है. जिसके बाद दूसरे दिन होली मनाई जाती है.