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JMM विधायक जेपी पटेल का एनडीए में झुकाव, कहीं ये महतो वोटर्स का जेएमएम से मोहभंग का इशारा तो नहीं ?

विधायक जयप्रकाश भाई पटेल प्रकरण के बाद से जेएमएम में उथल-पुथल मची हुई है. लेकिन जेएमएम अभी तक इस मामले पर किसी तरह की कोई ठोस कार्रवाई करने से बचता नजर आ रहा है.

जेपी पटेल (फाइल फोटो)

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Published : Apr 25, 2019, 12:37 PM IST

Updated : Apr 25, 2019, 5:06 PM IST

रांची: प्रदेश में प्रमुख विपक्षी दल झारखंड मुक्ति मोर्चा के एक विधायक का एनडीए प्रत्याशियों के समर्थन में चुनाव प्रचार करना झामुमो के गले नहीं उतर रहा है. वहीं, दूसरी तरफ पार्टी उनके खिलाफ कोई एक्शन लेने से भी फिलहाल कतरा रही है. मामला मांडू से विधायक जेपी पटेल से जुड़ा है. जिन्होंने कुछ दिन पहले 'पलटी' मारते हुए नरेंद्र मोदी के समर्थन में झारखंड में एनडीए प्रत्याशियों के लिए चुनाव प्रचार करने की घोषणा कर दी थी.

सुप्रियो भट्टाचार्य का बयान

मुख्यमंत्री रघुवर दास और एनडीए के प्रमुख घटक दल आजसू पार्टी के सुप्रीमो के साथ जेपी पटेल बाकायदा चुनाव प्रचार कर रहे हैं. लेकिन उनके पार्टी के लोग फिलहाल उनके खिलाफ कोई एक्शन लेने से बच रही है.

दरअसल, पूरा मामला आदिवासी और महतो वोट बैंक से जुड़ा हुआ है. इसे समझने के लिए झारखंड मुक्ति मोर्चा के स्थापना काल से उससे जुड़ी बातों को पलट कर देखना होगा.

क्या है ट्राईबल महतो वोटर्स का कॉन्बिनेशन ?
दरअसल, झारखंड मुक्ति मोर्चा की स्थापना धनबाद के पूर्व सांसद एके राय, झामुमो के मौजूदा सुप्रीमो शिबू सोरेन और विनोद बिहारी महतो के संयुक्त प्रयास से हुई थी. सन 1969 में शिबू सोरेन ने सोनत संथाल समाज की स्थापना की, वहीं 4 फरवरी 1973 शिवाजी समाज के नेता विनोद बिहारी महतो के साथ झारखंड मुक्ति मोर्चा की स्थापना की गई. उस वक्त विनोद बिहारी महतो झामुमो के अध्यक्ष बने और शिबू सोरेन जनरल सेक्रेटरी.

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वहीं, शिबू सोरेन के साथ ही सूरज मंडल भी शुरू से झामुमो के मजबूत स्तंभ माने गए. उनके अलावा शैलेंद्र महतो भी एक मजबूत कड़ी माने जाते थे. उसके बाद बारी निर्मल महतो और टेकलाल महतो की आती है. जिन्होंने शिबू सोरेन के साथ मिलकर पार्टी को मजबूत किया इसी क्रम में बाद वाली पीढ़ी पर नजर डालें तो झामुमो के पूर्व सांसद सुनील महतो और पूर्व विधायक सुधीर महतो भी प्रमुख चेहरे रहे हैं. गौर से देखें तो संथाल परगना के इलाकों के अलावा उत्तरी छोटानागपुर, दक्षिणी छोटानागपुर और कोल्हान में झामुमो का प्रेजेंस वही है जहां महतो ट्राईबल-मोटर्स का कॉन्बिनेशन मजबूत है.

कहीं झामुमो से महतो वोटर्स का मोहभंग तो नहीं हो रहा
पुराने लोगों की चर्चा करें तो शिबू सोरेन के साथ रहे टेकलाल महतो के बेटे जेपी पटेल ने फिलहाल झामुमो में 'सर्जिकल स्ट्राइक' कर दिया है. बकौल पटेल झामुमो में अब पुरानी बात नहीं रही. शिबू सोरेन के साथ रहे सूरज मंडल ने बीजेपी ज्वाइन कर लिया है. वहीं, बिनोद बिहारी महतो के बेटे राजकिशोर महतो धनबाद के टुंडी से आजसू पार्टी के विधायक हैं और एनडीए फोल्डर में हैं. जमशेदपुर के पूर्व सांसद सुनील महतो की पत्नी सुमन महतो और सुधीर महतो की पत्नी भी फिलहाल झामुमो में बहुत सक्रिय नहीं है.

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क्यों नहीं ले रहा है झामुमो पटेल के खिलाफ कड़ा एक्शन ?
जेएमएम के केंद्रीय महासचिव और प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने जेपी पटेल के एनडीए फोल्डर के पक्ष में प्रचार करने को लेकर कहा कि उन्हें अपने बाप-दादा की विरासत को संभाल कर रखना चाहिए. उन्होंने साफ कहा कि पटेल में योग्यता नहीं है लेकिन उनके बाप-दादा के कर्मों की वजह से पार्टी ने उन्हें सम्मान दिया और वह विधायक बने. मौजूदा इलेक्शन के दौर में झामुमो पटेल के खिलाफ कड़ा एक्शन लेने से इसलिए बच रही है कि इससे राज्य में महतो वोटर्स के बीच नेगेटिव मैसेज जा सकता है. पटेल अपने पिता टेकलाल महतो की राजनीतिक विरासत को लेकर आगे बढ़ रहे हैं. टेकलाल गिरिडीह से सांसद रहे हैं और मांडू से पांच बार विधायक रहे हैं. हालांकि झामुमो में महतो नेताओं में मथुरा महत्व और जगरनाथ महतो का नाम भी लिया जाता है लेकिन इनका एक सीमित दायरा माना जाता है.

झामुमो ने दिया है पटेल को नोटिस वैसे जाम झारखंड मुक्ति मोर्चा ने पटेल को एक नोटिस सर्व किया है. जिसकी मियाद अभी बची हुई है. उसके बाद पार्टी कोई एक्शन ले सकती है. बता दें कि झारखंड में पहले चरण के लिए मतदान 29 अप्रैल को होना है. झारखंड मुक्ति मोर्चा राज्य की 14 में से 4 संसदीय सीटों पर चुनाव लड़ रहा है जिसमें से संथाल परगना की दो सीटें दुमका और राजमहल समेत उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल के गिरिडीह और कोल्हान का जमशेदपुर इलाका शामिल है.

Last Updated : Apr 25, 2019, 5:06 PM IST

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