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महागठबंधन का बदलेगा आकार, सरकार में शामिल AJSU की कांग्रेस से बढ़ी नजदीकियां! - सुदेश महतो

झारखंड में आकार लेने से पहले महागठबंधन बिखराव की ओर बढ़ने लगी है. इसकी चर्चा अब शुरू हो गई है कि सीट शेयरिंग पर सहयोगी दलों में सहमति नहीं बन रही है. ऐसे में कांग्रेस अब नए फॉर्मूले पर विचार कर रही है.

कांग्रेस और आजसू के नेता (डिजाइन इमेज)।

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Published : Feb 2, 2019, 2:42 PM IST

रांची: झारखंड में कांग्रेस पार्टी महागठबंधन के एक नए 'फार्मूले' पर विचार कर रही है. इसे लेकर पिछले कुछ दिनों तक दिल्ली से लेकर रांची तक में चर्चा चल रही है. इस फॉर्मूले में पार्टी प्रदेश के पमुख विपक्षी दल जेएमएम को 'माइनस' और सरकार में शामिल आजसू को 'प्लस' करने पर विचार कर रही है.

देखिए, स्पेशल रिपोर्ट


पार्टी के विश्वस्त सूत्रों का यकीन करें तो दिल्ली में आजसू सुप्रीमो की झारखंड प्रभारी आरपीएन सिंह से इस बाबत मुलाकात भी हुई है. इतना ही नहीं अपने-अपने 'मैसेंजर' के माध्यम से दोनों दलों में लगातार संपर्क में बना हुआ है.


दरअसल, कांग्रेस अब झारखंड मुक्ति मोर्चा के साथ खुद को बहुत कंफर्टेबल नहीं मान रही है. इसकी मुख्य वजह सीट शेयरिंग डील है. एक तरफ झामुमो के साथ जाने पर कांग्रेस को 4 से 5 लोकसभा सीटें जेएमएम को देनी होंगी. वहीं दूसरी तरफ आजसू के साथ 'टाई-अप' करने पर कांग्रेस इस संख्या के बदले आजसू जेवीएम और लेफ्ट पार्टीज को बहुत हद तक संतुष्ट करने में सफल होगा.


वहीं, कांग्रेस राज्य की 14 में से कम से कम 9 लोकसभा सीट पर लड़ने के मूड में है. उनमें रांची, खूंटी, लोहरदगा, चाईबासा प्रमुख सीटें हैं. वहीं झारखंड मुक्ति मोर्चा ने 5 सीटों की दावेदारी की है. जिसमे से दो-दुमका और राजमहल उसकी सिटिंग सीट है. जबकि झामुमो गिरिडीह, चाईबासा और खूंटी पर भी नजर गड़ाए हुए है.


ऐसे इक्वेशन में कांग्रेस के लिए झारखंड विकास मोर्चा, लेफ्ट पार्टीज और राजद को संतुष्ट करना आसान नहीं होगा. साथ ही झारखंड मुक्ति मोर्चा विधानसभा चुनाव के लिए अभी से सीट शेयरिंग की डिमांड कर रही है जो कांग्रेस की प्राथमिकता में फिलहाल नहीं है.


हालांकि कांग्रेस ने शुरुआती दौर में जेएमएम के साथ जाने की घोषणा भी की और यहां तक कि नेतृत्व को लेकर झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यवाहक अध्यक्ष हेमंत सोरेन के घर पर बैठकों का दौर भी चला. लेकिन अब कांग्रेस 'ऑफेंसिव' मोड में आ गई है और पार्टी एक एक कदम बहुत सोच विचार कर रख रही है. सूत्रों का यकीन करें तो पिछले दिनों दिल्ली गए सोरेन की कांग्रेस प्रभारी आरपीएन सिंह से मुलाकात तक नहीं हुई.


आजसू के साथ जाने में होगा ये फायदा
आजसू के साथ जाने की एवज में कांग्रेस को जहां अपने हिसाब से लोकसभा सीटों पर लड़ने में आसानी होगी. वहीं सहयोगी दलों को संतुष्ट करने में भी पार्टी 'कंफर्टेबल फील' करेगी.
अपनी सीटों के अलावा कांग्रेस, झारखंड विकास मोर्चा को उसकी दो सीटें कोडरमा और चतरा पर संतुष्ट कर पाएगी. वहीं, लेफ्ट को भी 'सेटिस्फाई' करने में उसे सहूलियत होगी. रही बात राजद की तो उसको पार्टी पलामू देने के मूड में है. हालांकि अभी तक इस इक्वेशन को लेकर ना तो अभी कांग्रेस की तरफ से कोई कंफर्मेशन आया है और न आजसू पार्टी की तरफ से लेकिन दोनों पार्टी के सूत्रों की मानें तो बीजेपी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाले आजसू की नजदीकियां कांग्रेस से बढ़ी हैं.

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