बोकारो: हेमंत सरकार अपने 100 दिन पूरे कर रही है, जाहिर है सरकार अपनी उपलब्धियां भी गिनाएगी. 100 दिन के अल्पकाल में भी जरूर कुछ अच्छे काम हुए होंगे. लेकिन भूखल की मौत एक बड़ा सवाल जरूर है. जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूर है कसमार प्रखंड के सिंहपुर पंचायत का करमा गांव, जहां का भूखल घासी निवासी था, लेकिन 70 साल बाद भी सरकार और आम लोगों के बीच की ये 50 किलोमीटर की दूरी पट नहीं पाई.
गांव वाले बताते हैं कभी भूखल भी आम लोगों की तरह था. बेंगलुरु में मेहनत मजदूरी कर अपने परिवार का भरण पोषण करता था, लेकिन अपने मां की देहांत के बाद वह घर आया था. मां की चिता की आग ठंडी भी नहीं हुई थी कि पिता भी 3 दिनों के अंदर चल बसे. मां-बाप के श्राद्ध कर्मकांड में वह इतना कमजोर हो गया कि उसे कई बीमारियों ने घेर लिया, जिसके बाद वह दोबारा मेहनत मजदूरी करने के लायक नहीं रहा.